लोकेश सोलंकी, नईदुनिया, इंदौर। गहनों के बाजार में भी अब चीन की एंट्री हो गई है। सराफा बाजार में ऐसे गहने बिक रहे हैं जो सीधे चीन और वियतनाम से बनकर आ रहे हैं। इनकी डिजाइन ऐसी है कि सोना पहनने और बेचने वाले भी एक नजर में धोखा खा जाएं। बिल्कुल सोने की तरह दिखने वाले ये गहने असल में चांदी से बने हैं।
आसमान पर चढ़ते सोने के दाम से घबराए ग्राहक इनकी ओर आकर्षित भी हो रहे हैं। हाल ये हैं कि सराफा व अन्य परंपरागत सोना-चांदी के बाजारों में भी अब इन गहनों की बिक्री शुरू हो चुकी है। भारतीय डिजाइन और गहनों पर हालमार्क का निशान लोगों को अंदाजा भी नहीं लगने दे रहा कि ये चीन से बनकर आ रहे हैं।
इंदौर के सराफा बाजार में सिल्वर 925 गोल्ड के नाम से ऐसे गहने बिकने लगे हैं। चूड़ी, कंगन, हार से लेकर जड़ाऊ ज्वेलरी तक में पूरी रेंज मिल रही है। गहने भले ही चांदी से बने हैं लेकिन दिखने में सोने के गहनों और इनके बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता।
इन गहनों के साथ गारंटी भी ली जा रही है कि इनकी सोने जैसी रंगत ताउम्र फीकी नहीं पड़ेगी। यानी चांदी की कीमत में लोग सोना पहनने का शौक पूरा कर सकते हैं। असल में 925 हालमार्किंग का निशान होता है, जो चांदी के गहनों की शुद्धता के लिए जारी किया जाता है। ऐसे में इन्हें खरीदने वाले भी इनके प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं।
चीन से बने इन गहनों का देश के बाजारों से परिचय बीते साल हुआ था। हालांकि तब बाजार और ग्राहकों ने इनको तव्वजों नहीं दी। इस साल जनवरी के बाद से सोने के दाम बेतहाशा बढ़ने लगे। इंदौर चांदी-सोना जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकम सोनी के अनुसार अब त्योहारों के पहले सोना एक लाख रुपये प्रति दस ग्राम के पार पहुंच गया है।
ऐसे में सोने के गहने खरीदना कई लोगों के बस के बाहर हो गया है। यदि वे खरीद भी रहे हैं तो बजट के लिहाज से उन्हें वजन बढ़ने से डिजाइनों में समझौता करना पड़ रहा है। अब सिल्वर गोल्ड के नाम से बिक रहे ऐसे गहने लोगों की खरीद सूची में ऊपर आ गए और व्यापारियों ने भी इनकी बिक्री शुरू कर दी।
इंदौर के बाजारों में इन गहनों की आपूर्ति मुंबई और गुजरात से हो रही है। दरअसल आयातक सीधे चीन और वियतनाम से इन्हें मंगवा रहे हैं। कई आपूर्तिकर्ता इन पर हालमार्किंग करवाने के बाद इन्हें देश के बाजारों में आपूर्ति कर रहे हैं। हालांकि इससे चिंता पैदा हो रही है कि भारतीय कारीगरी जो अब तक देश के ज्वेलरी सेक्टर की खासियत थी और लाखों रोजगार दे रही थी, उसमें भी चीनी अतिक्रमण होने लगा है। इसका सीधा असर पहले राजकोट-मुंबई जैसे थोक में गहने बनाने वाले सेंटरों पर पड़ेगा। आगे इंदौर जैसे बाजारों के कारीगरों पर भी असर देखा जा सकता है।
सोने के गहने खरीदने के लिए लोगों को लाखों रुपये का बजट बनाना पड़ रहा है। हालांकि हूबहू सोने जैसे ये चांदी के गहने सिर्फ पांच से करीब 40 हजार रुपये की कीमत में बाजार में मिल रहे हैं। बजट में सस्ते होने के बावजूद डिजाइन-फिनिशिंग के मामले में गहने सोने के गहनों पर भारी पड़ रहे हैं। ऐसे में इनकी बिक्री बढ़ रही है। कारोबारियों को चिंता है कि इस त्योहारी सीजन में इन गहनों की खरीदी का चलन भी बढ़ेगा।
सराफा कारोबारी और सराफा व्यापारी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अविनाश मंत्री के अनुसार चीन के गहने आना और बाजार में बिकना चिंता की बात है। इसका असर निश्चित तौर पर भारतीय ज्वेलरी उद्योग पर पड़ेगा। लेकिन सोना महंगा होने के बाद व्यापार भी मुश्किल हुआ है, इसलिए कई ज्वेलर्स इन गहनों को काउंटरों पर रखने लगे हैं।
एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकम सोनी कहते हैं ज्वेलरी कारोबारी भी इन्हें आसानी से पहचान नहीं सकता कि ये सोने के नहीं हैं। लिहाजा इन्हें खरीदने वाले भी सोने का विकल्प मानकर पहनने के लिए इन गहनों को खरीद रहे हैं।