इंदौर। नईदुनिया प्रतिनिधि
आज भी देवी अहिल्या के संस्कार इंदौर की जनता पर बरस रहे हैं। सार्थक जीवन का इससे अच्छा उदाहरण क्या होगा कि आज हम हृदय से समाजसेवा की मिसाल रही शख्सियत को याद कर रहे हैं। जीवन को सार्थक बनाने के लिए हमें जीवन के महत्व को समझना आवश्यक है। संसार में सबसे श्रेष्ठ वस्तु कौन सी है तो इस सवाल का जवाब मानव जीवन है। यह परमात्मा का अमूल्य उपहार है। इस उपहार की हमें कद्र कर उसकी उपयोगिता का लाभ लेना चाहिए।
यह बात स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज ने वसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर शनिवार को वैष्णव विद्या परिसर राजमोहल्ला पर कही। वे समाजसेवी बाबूलाल बाहेती के जन्म शताब्दी महोत्सव के उद्घाटन समारोह के अवसर पर 'सार्थक जीवन' विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में अनेक शरीर हैं लेकिन इसमें मानव देह जैसा कोई अद्भुत नहीं है। यह अद्भुत देह परमात्मा की कृपा से प्राप्त हुई है। मानव जीवन कैसा होना चाहिए यह बात हम सबको समझने की आवश्यकता है। कई लोग इस जीवन को इधर-उधर घूमकर व्यर्थ गंवा देते हैं। इस जीवन की सार्थकता तब है जब अंत समय में लगे कि हमने इस जीवन को जिया। इसका पूरा उपयोग किया। इस संसार में हर वस्तु चैतन्य है, जिन वस्तुओं को हम निर्जीव मानते हैं, उनमें भी कुछ चैतन्य भाव होता है। परमात्मा ने जो वस्तु दी, उसके उपयोग में ही उसकी सार्थकता है। यह शरीर जो हमें मिला है, इसकी सार्थकता किस में है, इस बात का विचार करें। इस अवसर पर लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि बाबूलाल बाहेती का जीवन एक समाज की सेवा की मिसाल थी। मैं बाहर कहीं जाती हूं तो लोग कहते हैं मैं राजनीति में होकर भी राजनीतिज्ञ नहीं लगती तो इसका श्रेय इंदौर और बाहेती जी जैसे सेवाभावी लोगों को जाता है। जिनके मन में समाज से जो लिया उससे ज्यादा देना का भाव सदा रहा। बाबूलाल बाहेती, बाबूलाल पाटोदी और बड़े मुछाल जी ऐसे लोग थे, जिन्होंने संस्कार की सीख दी। स्वागत भाषण रमेश बाहेती ने दिया। इस अवसर पर महापौर मालिनी गौड़, वीएस कोकजे, हंसराज जैन, पुरुषोत्तम पसारी आदि मौजूद थे। अतिथि स्वागत कमलनारायण भुराड़िया, देवेंद्र मुछाल, बालकृष्ण मित्तल आदि ने किया। संचालन मंगल मिश्रा ने किया। आभार मनोहर बाहेती ने माना।