इंदौर। नईदुनिया प्रतिनिधि
इंदौर लोकसभा क्षेत्र में तीन दशकों बाद चुनावी मैदान में तमाम नई बाते घटित हो रही है। भाजपा कांग्रेस में इतने अरसे बाद कांटे की टक्कर मानी जा रही है। परिणामों को लेकर कोई भी पक्ष आश्वस्त नहीं है और पहली बार एक ऐसे समाज के वोटों का गणित लगाया जा रहा जिसे अब तक गिना नहीं जा रहा था। आठ बार चुनाव जीत चुकी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के रहते बीते दशकों से इंदौर सीट पर हमेशा मराठी वोटों की गिनती सबसे पहले होती रही। समय-समय पर टिकट वितरण से लेकर चुनावी हिसाब में वैश्य, सिंधी, ब्राह्मण से लेकर पिछड़े वोटों का गणित भी लगाया गया। पहली बार इस चुनाव में यादव वोटरों को एक करने और वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश भी शुरू हो गई है।
क्षेत्र के यादव समाज के नेताओं दावा कर रहे हैं कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच लाख यादव समाज के परिवार हैं और तकरीबन पौने तीन लाख यादव समाज के वोटर्स हैं। इसके बावजूद समाज के वोटों का वजन कोई भी पार्टी नहीं तौल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स से लेकर टिकट के गणित तक में यादव वोटों की बात नहीं होने समाज में अनदेखी की चर्चा की शुरुआत का कारण बना। इसी बीच समाज के गलियारों में दो दिन पहले चले एक मैसेज ने यादवों की नाराजगी को भड़काने का काम कर दिया। समाज के वाट्स एप और अन्य सोशल मीडिया ग्रुपों पर मैसेज चला दिया गया कि लोकसभा क्षेत्र से एक पार्टी के उम्मीदवार ने समाज के अगुवाई कर रहे कुछ नेताओं को लौटा दिया है। इसकी वजह बताई गई है कि समाज के लोग और वोट एक साथ नहीं है। अरसे बाद मुकाबले में नजर आ रही कांग्रेस ने मुद्दें को भांपते हुए यादव समाज को साधने के लिए पहली कोशिश शुरू कर दी है।
अब तक दूसरों की गिनती
इंदौर लोकसभा क्षेत्र में अब तक सबसे आगे मराठी वोटों की गिनती होती रही है। करीब तीन लाख मराठी वोटर्स माने जाते रहे हैं। जैन-वैश्य वोटर्स की संख्या भी तीन लाख से ज्यादा गिनाई जाती रही है। ब्राहम्ण समाज के वोट भी तीन लाख से ज्यादा माने जाते रहे हैं। सिंधी समाज के मतदाताओं की गिनती भी समय-समय पर होती रही है। करीब 50 से 60 हजार सिंधी वोटर्स गिनाए जाते रहे हैं। भाजपा ने मराठी, वैश्य, सिंधी के समीकरण को टिकट तय करने का आधार बनाते हुए सिंधी समाज से ही शंकर लालवानी को अपना उम्मीदवार चुना। दावा भी किया जा रहा है कि देश में भाजपा की ओर से सिंधी कांग्रेस ने जैन समाज से पंकज संघवी को उम्मीदवार बनाया है।
सदाशिव बहाना,दूसरे पर निशाना
तीन दिन पहले कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव ने चुनाव कार्यालय के उद्घाटन में खुद को अपमानित करने का आरोप लगाकार मंच छोड़ दिया था। शुक्रवार को सदाशिव के अपमान के मुद्दे पर दो नंबर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश यादव के अखाड़े पर बैठक बुलाई गई। बैठक में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव, पार्षद छोटे यादव, महामंत्री केके यादव, प्रदेश सचिव राकेशसिंह यादव के साथ राजीव विकास केंद्र के अध्यक्ष देवेंद्र यादव के साथ समाज के अन्य लोग भी मौजूद रहे। सदाशिव यादव के अपमान का मुद्दा उठा तो समाज के लोगों ने ही कहा कि पहले एक ही संगठन में मौजूद सभी यादव नेता तो एक हों। बैठक में मौजूद नेताओं ने ऐलान कर दिया कि कांग्रेस के यादव नेता एक साथ रहेंगे एक की नाराजगी सबकी नाराजगी होगी। सोशल मीडिया पर चले मैसेज को मुद्दा बनाते हुए बात छेड़ दी गई कि भाजपा ने यादवों के वोटों की ही अनदेखी कर दी है। हाल यह कि समाज के वोटों को कहीं गिनाया भी नहीं जा रहा। मौके पर ही समाज के लोगों को संकल्प दिला दिया गया कि यादवों को एकजुट कर वोट करना होगा। यादव नेताओं की संख्या और बैठक में मौजूद नेताओं के हवाले से निर्देश दे दिया गया कि कांग्रेस के उम्मीदवार पंकज संघवी के पक्ष में वोट किया जाए क्योंकि दूसरी पार्टी तो समाज के वोटों की गिनती नहीं स्वीकार कर रही है। बैठक की खबर फैली तो भाजपा भी यादवों के साथ खड़ी नजर आने लगी। शुक्रवार रात भाजपा की ओर से पूर्व नगर मंत्री संध्या यादव ने भी बयान जारी कर कहा कि भाजपा ने यादवों को हमेशा प्रतिनिधित्व दिया। यादवों की गिनती तो कभी अनदेखा नहीं किया बल्कि यादव समाज के आयोजनों में उम्मीदवार शंकर लालवानी हमेशा मौजूद रहे। कांग्रेस साजिश कर रही है और यादवों को भाजपा के खिलाफ किया जा रहा है।