Civil Dead Law: सात वर्ष से अधिक समय से लापता व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित कर सकता है न्यायालय
Civil Dead Law: पुलिस में की गई गुमशुदगी की रिपोर्ट, समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञप्ति आदि की प्रति प्रस्तुत करनी होती है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 18 Jan 2024 12:47:58 PM (IST)
Updated Date: Thu, 18 Jan 2024 03:39:43 PM (IST)
सात वर्ष से अधिक समय से लापता व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित कर सकता है न्यायालयCivil Dead Law: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। अगर किसी व्यक्ति का सात वर्ष या इससे अधिक समय से कोई अता पता नहीं हो तब उस व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित करने की कानूनी प्रक्रिया को सिविल डेथ कहते हैं। इसमें सात वर्ष से अधिक समय से लापता हुए व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित किया जाता है और उस व्यक्ति के समस्त वैधानिक अधिकारों को समाप्त कर दिया जाता है।
एडवोकेट विशाल बाहेती ने बताया कि समाचार पत्रों और अन्य मीडिया माध्यमों में आए दिन गुमशुदा लोगों के बारे में विज्ञापन देखने को मिल जाते हैं। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें गुमशुदा व्यक्ति कभी नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के स्वजन को विकट परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है क्योंकि कई ऐसे कानूनी काम होते हैं जो केवल व्यक्ति के मृत घोषित होने के बाद ही किए जा सकते हैं।
प्रमाण देना जरूरी
उदाहरण के लिए उस व्यक्ति की संपत्ति में वारिसों के नाम शामिल करवाना, उस व्यक्ति की सर्विस से जुड़ा पैसा प्राप्त करना, लाइफ इंश्योरेंस का पैसा लेना, विभिन्न क्लेम हासिल करना इत्यादि। ऐसे मामलों में कोर्ट से किसी गुमशुदा व्यक्ति की मृत्यु की घोषणा करवाई जा सकती है।
अगर किसी व्यक्ति को लापता हुए सात वर्ष से ज्यादा वक्त हो चुका होता है तो उस व्यक्ति की
सिविल डेथ की घोषणा के लिए न्यायालय में आवेदन करना होता है। इस आवेदन को प्रस्तुत करते समय उस व्यक्ति को गुम हुए सात वर्ष पूरे हो गए हैं, इसका प्रमाण दिखाना होता है। इसके अलावा पुलिस में की गई
गुमशुदगी की रिपोर्ट, समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञप्ति आदि की प्रति प्रस्तुत करनी होती है।
धारा 107 व 108 को विस्तार से बताया गया है
इस बारे में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107 और 108 में विस्तार से बताया गया है। यह प्रविधान एक ऐसी स्थिति को बताता है जब कोई व्यक्ति सात वर्ष से ज्यादा गायब हो जाता है। यानी गुम हो जाता है। ऐसी परिस्थितियों के बाद न्यायालय में दावा करने पर न्यायालय आदेश दे कर उस व्यक्ति को मृत घोषित कर देता है। न्यायालय द्वारा व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत मान लिए जाने को ही सिविल डेथ कहा जाता है।
इस अधिनियम की धारा 108 में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के बारे में सात वर्षों से कुछ कहीं देखा और सुना नहीं गया है उसे मृत माना जा सकता है। किसी व्यक्ति को मृत घोषित करने के लिए जरूरी है कि उस व्यक्ति का समाज में अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं होना चाहिए। न्यायालय में यह भी सिद्ध करना जरूरी होता है कि उस व्यक्ति के बारे में पिछले सात वर्ष से किसी ने कुछ देखा या सुना नहीं है। ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाने पर उचित कानूनी परामर्श लेते हुए सिविल कोर्ट में मृत्यु की घोषणा के लिए घोषणात्मक वाद दायर करें।
इस प्रविधानों के तहत कुछ जरूरी बातों को सिद्ध करने में सफल हो जाते हैं तो सिविल कोर्ट द्वारा गुमशुदा व्यक्ति के बारे में सिविल डेथ घोषित करते हुए प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है। कोर्ट के इस आदेश की प्रति लेकर संबंधित विभाग में व्यक्ति के रिकार्ड को अपडेट करवाया जा सकता है और उस व्यक्ति के मृत्यु से जुड़े अन्य कानूनी कार्य पूरे किए जा सकते हैं।