Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की दिसंबर 2022 तक की सभी अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा के बाद नगर निगम के सामने अवैध कालोनियों में विकास एक बड़ी चुनौती बन गई है। दरअसल नगर निगम ने इन कालोनियों को चरणबद्ध तरीके से वैध करने की प्रक्रिया अपनाने की तैयारी कर ली थी। पहले चरण में 100 कालोनियों को वैध किया भी।
कालोनियों के रहवासियों से विकास शुल्क लेकर इन कालोनियों में बचे हुए विकास कार्य करने की योजना भी थी लेकिन मुख्यमंत्री ने न सिर्फ अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा कर दी बल्कि विकास शुल्क की वसूली पर भी रोक लगा दी है। ऐसे में पहले से आर्थिक तंगी से जूझ रहे नगर निगम के लिए बगैर विकास शुल्क वसूले, अवैध कालोनियों में विकास करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।
अवैध कालोनियों को अचानक से वैध करने से नियमानुसार कालोनी काटने वाले खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। नियमानुसार कालोनाइजर को ही कालोनी में विकास कार्य करना होते हैं। इस पर मोटी रकम खर्च होती है, लेकिन 2022 तक कट चुकी अवैध कालोनियों में अब विकास कार्य नगर निगम को करना है।
इंदौर नगर निगम को मिलना थे 47 करोड़
तीन दिन पहले रविंद्र नाट्य गृह में आयोजित कार्यक्रम में शहर की 100 अवैध कालोनियों को वैधता प्रमाण पत्र जारी किए गए। इन कालोनियों के कई रहवासियों ने मौके पर ही विकास शुल्क भी जमा करा दिया था। इन कालोनियों से विकास शुल्क के रूप में नगर निगम को 47 करोड़ रुपये मिलना थे। इन्हीं रुपयों से इन अवैध कालोनियों में बचा हुआ विकास कार्य होना था, लेकिन अब यह रकम अटक गई है।
निगम अधिकारियों का कहना है कि अब विकास शुल्क नहीं वसूला जाएगा लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जिन रहवासियों ने विकास शुल्क की रकम निगम में जमा करा दी है उनका क्या होगा। उनके द्वारा जमा विकास शुल्क वापस किया जाएगा या नहीं।
Posted By: Sameer Deshpande
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