विनय यादव, नईदुनिया, इंदौर। एमवाय अस्पताल में चूहे द्वारा धार और देवास जिले के दो नवजातों को कुतरने की घटना हुई थी। इन दोनों की नवजात की चूहे द्वारा कुतरने के बाद मौत हो गई थी। राज्य स्तर और कॉलेज स्तर पर बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट से पता चलता है कि पुरा कॉलेज प्रबंधन ही बीमार है, अभी इसी को उपचार की जरूरत है। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एनआईसीयू में 30 और 31 अगस्त को चूहे द्वारा नवजातों को कुतरने की घटना हुई।
इस घटना के बाद नवजातों की हालत गंभीर हुई, लेकिन इसके बावजूद भी कोई सीनियर डॉक्टर इलाज करने के लिए नहीं पहुंचा। दोनों की समिति की रिपोर्ट में इसे घोर लापरवाही माना गया है। राज्य स्तरीय रिपोर्ट की जांच में सामने आया कि प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार जोशी द्वारा दोनों मरीजों के उपचार के लिए निर्देश नहीं दिए गए थे। कंस्लटेंट डॉक्टर डॉ. पूजा तिवारी और डॉ. विनोद द्वारा भी इलाज नहीं किया। रेसिडेंट डॉक्टर के भरोसे बच्चों को गंभीर हालत होने के बावजूद भी छोड़ दिया था।
नवजात को चूहे द्वारा कुतरने की पहली घटना 30 अगस्त को देर रात हुई थी, इस दिन शनिवार था। मौके पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ और रेसिडेंट डॉक्टरों ने इस संबंध में अधिकारियों को जानकारी पहुंचाई। लेकिन रविवार होने के चलते एक भी सीनियर और कंसल्टेंट डॉक्टर इलाज के लिए नहीं पहुंचे। उन्होंने जिम्मेदारी से बचते नवजातों पर ध्यान नहीं दिया और घर पर आराम करते रहे। लेकिन प्रबंधन ने इसपर ध्यान नहीं गिया। ऑपरेशन के बाद पांच दिनों तक देवास जिले के नवजात का ऑक्सीजन लेवल 95 प्रतिशत था, जो कि सामान्य माना जाता है। लेकिन चूहे द्वारा कुतरने के बाद ऑक्सीजन लेवर अचानक कम हो गया और उसकी हालत गंभीर हो गई। इसी प्रकार धार जिले से आए नवजात के इलाज में भी लापरवाही बरती गई।
डॉक्टर ने नर्सिग ऑफिसर श्वेता चौहान ने बयान में बताया कि आंकाक्षा के साथ ड्यूटी कर रही थी। चूहा द्वारा कुतरने के बाद डॉ. सुनिल को जानकारी दी। उन्होंने पूछा कि यह कैसे हुआ तो कहा कि चूहे को भागते हुए देखा है। वीडियो इसलिए बनाया गया, क्योंकि डॉ. सुनील द्वारा बार-बार सवाल किया जा रहा था कि चूहा था या कोई अन्य जानवर।
- दोनों नवजात का प्रभावी उपचार प्रदाय करने पर डॉ. जोशी दोषी पाए जाते हैं।
- वरिष्ठ स्तर पर जानकारी नहीं देने और उपचार नहीं करने पर डॉ. विनोद राज और डॉ. पूजा तिवारी दोषी पाए जाते हैं।
- समस्याओं को वरिष्ठ अधिकारियों को प्राथमिकता से नहीं पहुंचाने पर नर्सिंग इंचार्ज प्रवीणा सिंह दोषी पाई जाती है।
- साफ-सफाई और प्रबंधन में प्रशासकीय दृष्टि से डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव विफल रहे।
- एजाइल कंपनी