लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। आजकल अनियमित खानपान और दिनचर्या के कारण दिल की बीमारियां होना एक आम बात है। हार्ट संबंधित बीमारियां कई लोगों में अनुवांशिक कारणों से भी होती है। बच्चों में हार्ट की बीमारी के बारे में सुनकर अजीब लगता है, लेकिन जन्म के समय ही कुछ बच्चों को दिल से जुड़ी कुछ दिक्कतें हो जाती हैं। इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की डॉ. रुचिरा पहारे, कन्सल्टेन्ट, पीडियाट्रिशियन कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के बारे में विस्तार से जानकारी दे रही हैं –
जन्म के समय किसी भी बच्चे के हार्ट में कोई भी डिफेक्ट होने को ‘कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज’ (Congenital Heart Disease)कहा जाता है। आम भाषा में इसे लोग दिल में छेद होने की समस्या से जानते हैं लेकिन इसके अलावा भी इस बीमारी में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
इसमें बच्चों के हृदय से संबंधित समस्याएं जैसे- वैलव्युलर हार्ट डिजीज और नसें गलत जुड़ी हुई होना या दिल की धड़कन में समस्या आदि हो सकती हैं। यदि समय पर ऐसे बच्चों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है तो यह कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज जानलेवा भी हो सकती है।
गर्भावस्था में भ्रूण के विकसित होने के दौरान ही कई कारणों से दिल का विकास प्रभावित होता है। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज होने के कई कारण हो सकते हैं, जिससे बच्चों में जन्मजात ही यह बीमारी होती है। इसमें मुख्य ये कारण हो सकते हैं -
नवजात शिशुओं में इस बीमारी के बारे में गर्भावस्था के दौरान ही अल्ट्रासाउंड Fetal ECHO के जरिए पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा बच्चों के जन्म के बाद उनमे दिखने वाले लक्षणों में हार्ट बीट का तेज या अनियमित होना, तेजी से सांस लेना या हांफना, त्वचा का रंग नीला हो जाना, सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी, दूध पीते समय बच्चे को थकान या सांस तेज होना, शरीर के अंगों में सूजन होना, बच्चे के वजन में कमी होना, हमउम्र के बच्चों की तरह बच्चे का मानसिक और शारीरिक रूप से विकास न हो पाना आदि कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं अत: इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत ऐसे अस्पताल जाएं जहां फुल टाइम स्पेशलिस्ट की सुविधा उपलब्ध हो ताकि समय पर सही इलाज मिल सके।
इस तरह की बीमारी के उपचार के लिए सभी तरह की एडवांस टेक्नोलॉजी अब भारत में भी उपलब्ध है, जिससे पीड़ित बच्चों का इलाज समय पर किया जा सकता है और वे हमेशा के लिए स्वस्थ भी हो सकते हैं।