Cotton MSP Indore: कपास के दाम एमएसपी से नीचे, सीसीआइ ने 6 लाख क्विंटल रुई खरीदी
Cotton MSP Indore: अब तक राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर लगभग छह लाख क्विंटल रुई की खरीद की जा चुकी है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Tue, 06 Feb 2024 09:02:57 AM (IST)
Updated Date: Tue, 06 Feb 2024 11:43:14 AM (IST)
कपास के दाम एमएसपी से नीचे, सीसीआइ ने 6 लाख क्विंटल रुई खरीदीHighLights
- मध्य प्रदेश में कपास का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ गया है।
- सरकारी एजेंसी भारतीय कपास निगम को मंडियों में हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।
- मध्य प्रदेश कपास के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों में शामिल है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर Cotton MSP Indore। मध्य प्रदेश में कपास का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आने से सरकारी एजेंसी भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को मंडियों में हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की इस अधीनस्थ एजेंसी द्वारा अब तक राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर लगभग छह लाख क्विंटल रुई की खरीद की जा चुकी है।
एजेंसी ने
मध्य प्रदेश में रुई की खरीद के लिए 21 क्रय केन्द्र खोले हैं। वह अब तक पिछले दो साल में रुई की सबसे ज्यादा खरीद कर चुकी है। मध्य प्रदेश कपास के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों में शामिल है। जहां अक्टूबर से ही थोक मंडियों में रुई की आवक हो रही है जबकि दिसंबर-जनवरी में इसकी आपूर्ति काफी बढ़ जाने से कीमतों में गिरावट आ गई।
बाजार भाव घटकर समर्थन मूल्य से नीचे आने के बाद सीसीआई ने वहां हस्तक्षेप किया।
निगम ने कहा कि अक्टूबर 2023 से अब तक मध्य प्रदेश में करीब 6 लाख क्विंटल कपास की खरीद की जा चुकी है और जब तक किसान क्रय केंद्रों पर अपना माल लाते रहेंगे तब तक इसकी खरीद जारी रखी जाएगी। वैसे निगम की खरीद के कारण रुई के दाम में अब कुछ सुधार आया है और यह समर्थन मूल्य के आसपास पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य मीडियम रेशेवाली किस्मों का 6620 रुपए प्रति क्विंटल तथा लम्बे रेशेवाली श्रेणियों का 7020 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक हाल के सप्ताहों के दौरान थोक (हाजिर) मंडियों में रुई की आवक धीरे-धीरे घट गई है जबकि आगामी दिनों में इसके और भी गिरावट आने की संभावना है। नवंबर-दिसंबर में कपास की आपूर्ति का प्रवाह बहुत तेज रहा जबकि जनवरी से इसमें कमी आने लगी।
पिछले साल बाजार भाव ऊंचा होने से सरकारी एजेंसी को कपास खरीदने का अवसर नहीं मिल सका था। कपास का दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से 10-20 प्रतिशत नीचे आने के कारण जनवरी में किसानों ने मंडियों में माल उतारने की गति धीमी कर दी थी लेकिन बाद में उसे इसकी रफ्तार बढ़ानी पड़ी। उत्तरी एवं मध्यवर्ती क्षेत्र की स्पिनिंग इकाइयों में कपास की प्रोसेसिंग तेज रफ्तार से हो रही है।