नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। जिस वाहन से दुर्घटना हुई थी उसका फिटनेस नहीं था, बावजूद इसके जिला न्यायालय ने मृतक के स्वजन को 56 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि दिलवाई। न्यायालय ने माना कि मोटरयान अधिनियम के नवीन संशोधन उपरांत भी ‘पे एंड रिकवर’ का सिद्धांत समाप्त नहीं हुआ है। बीमा कंपनी को पहले मृतक के स्वजन को मुआवजा राशि का भुगतान करना होगा और इसके बाद वह यह राशि जिम्मेदारों से वसूल कर सकेगी।
मामला न्यायिक कर्मचारी अशोक का है। 4 जून 2023 को वे पत्नी बबीता के साथ बाइक से जा रहे थे। हाईवे पर पीछे से आए ट्रक ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में अशोक की मौके पर ही मौत हो गई।
पत्नी बबीता और अन्य स्वजन ने एडवोकेट राजेश खंडेलवाल के माध्यम से ट्रक का बीमा करने वाली कंपनी के खिलाफ मुआवजे का प्रकरण प्रस्तुत किया। बीमा कंपनी ने इसका विरोध करते हुए तर्क रखा कि ट्रक का फिटनेस ही नहीं था और ट्रक स्वामी ने बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया है। ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी पर किसी तरह का मुआवजा देने का दायित्व नहीं बनता।
कोर्ट ने क्या कहा
एडवोकेट खंडेलवाल ने तर्क रखते हुए उच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किए और कोर्ट को बताया कि ‘पे एंड रिकवर’ का सिद्धांत समाप्त नहीं हुआ है। तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने मृतक के स्वजन को 56 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। यह राशि बीमा कंपनी को मृतक के स्वजन को देनी होगी और बाद में वह इसे चालक और वाहन स्वामी से वसूल कर सकेगी।