क्राइम फाइल : मुकेश मंगल
पदोन्नति की राह देख रहे थाना प्रभारियों के लिए खुश खबरी है। पीएचक्यू ने 'घटिया' का तमगा हटाकर सर्वोत्तम कर दिया और डीएसपी बनने का रास्ता भी खुल गया है। तत्कालीन एडीजी वरुण कपूर ने थाना प्रभारी राजेंद्र चतुर्वेदी, संजय शर्मा, तहजीब काजी, विनोद दीक्षित सहित कई थाना प्रभारी की वार्षिक चरित्रावली (एसीआर) 'घ' यानी घटिया कर दी थी। खास बात यह जिन थाना प्रभारी को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की उनका पदोन्नति की सूची में नाम था। दुखी थाना प्रभारियों ने डीजीपी विवेक जौहरी के समक्ष अपील की तो उन्होंने एडीजी की टिप्पणी काटकर क, ख और ग यानी उत्कृष्ट, बहुत अच्छा और अच्छा कर दी। बताया जाता है थाना प्रभारियों को कपूर की व्यस्तता का फायदा मिला है। जिस वक्त पीएचक्यू ने पत्राचार कर एसीआर संशोधन के संबंध में कपूर का पक्ष जाना उस वक्त वे बंगाल चुनाव में व्यस्त हो गए और पीएचक्यू ने एक तरफा निर्णय सुना दिया।
अगम जैन को याद करेंगे पीटीसी के जवान
पुलिस ट्रेनिंग कालेज के जवान आइपीएस अगम जैन को याद रखेंगे। उनके एसपी बनते ही कोरोना ने पैर पसार लिए लेकिन उन्होंने जवानों की शिक्षा-ट्रेनिंग में कमी नहीं आने दी। 243 नवआरक्षक अपने-अपने घर भले ही चले तो गए, आनलाइन क्लास जारी रही बल्कि साइबर अपराध, अंग्रेजी बोलने और योगा की अतिरिक्त क्लास शुरू करवा दी। आउटडोर परेड बंद हुई तो घर बैठे नवआरक्षकों के टेस्ट लेना शुरू कर दिए। यह पहला अवसर है जब पीटीसी के किसी एसपी ने न सिर्फ नवआरक्षकों के बारे में सोचा बल्कि उन युवाओं की कोचिंग व्यवस्था भी करवा दी जो सिपाही व एसआइ भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। जैन का श्वानों के प्रति प्रेम भी विभाग में चर्चा का विषय है। लाकडाउन के दौरान उन्होंने न सिर्फ आवारा श्वानों के लिए सुबह-शाम खाने की व्यवस्था की बल्कि जगह-जगह पानी के लिए सकोरे भी रखवा दिए।
अपने ही आदेशों में उलझते गए अफसर
क्राइम ब्रांच में जो हो वो कम है। कभी दागियों की भर्ती को लेकर विवाद होते रहते हैं तो कभी अफसर जुआ-सट्टा और स्पा सेंटर से वसूली के आरोप का सामना करते रहते हैं। इस बार आमद- रवानगी में गड़बड़ी हुई है। डीआइजी मनीष कपूरिया ने पिछले सप्ताह एसआइ श्रद्धा यादव, महेश यादव और गोविंदसिंह कुशवाह को लाइन का रास्ता दिखा दिया। कारण बताया गया कि तीनों वर्षों से क्राइम ब्रांच में जमे थे। बताया जाता है एसआइ को डेढ़ महीने पूर्व ही कार्यवाहक निरीक्षक बनाकर रतलाम महिला सेल भेज दिया गया था। तबादला रुकवाने के लिए जोड़तोड़ चल ही रही थी कि एसपी (मुख्यालय) अरविंद तिवारी ने रवानगी के आदेश जारी कर दिए। इसके बाद भी एसआइ जमी रही और अब नए आदेश में पुलिस लाइन जा पहुंची। हालांकि इसके पूर्व भी एसआइ वी केयर फार यू में होते हुए भी क्राइम ब्रांच का काम संभाल रही थी।
डीजीपी पर भारी पड़ रहे एसआइ
अफसर कंपेल चौकी प्रभारी विश्वजीतसिंह तोमर के विरुद्ध चाहे जितने पत्राचार-जांच कर लें, होता वही है जो वे चाहते हैं। मंत्री तुलसीराम सिलावट की नाराजगी के कारण मांगलिया चौकी से हटाया लेकिन लगे हाथ कंपेल में पोस्टिंग करवा ली। सामूहिक दुष्कर्म-वाहन चोरी में लापरवाही करने पर डीजीपी तक रिपोर्ट भेजी लेकिन एसआइ की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। पिछले दिनों हत्या के आरोपितों का पक्ष लेने पर भी जांच में घिरे लेकिन तोमर ने दोबारा मांगलिया पोस्टिंग करवा ली। हालांकि अचानक समीकरण बदले और तोमर ने इरादा बदल लिया। बताया जाता है एसआइ की उन थाना प्रभारियों से भी कभी पटरी नहीं बैठी जिनके अधीन उन्हें चौकी प्रभारी बनाया गया। शिप्रा और खुड़ैल थाना थाना प्रभारी तो एसपीडीआइजी के समक्ष पेश होकर कई बार एसआइ के प्रति नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।