
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। शहर की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रही स्कूल, कॉलेज और यात्री बसों की जांच का अभियान बीते दस माह से चलाया जा रहा है, लेकिन इसका असर नहीं दिखाई देर रहा है। बसों की जांच में होने वाली खानापूर्ति के कारण आए दिन हादसे हो रहे है और आमजन को अपनी जान गंवाना पड़ रही है। शहर में बीते दिन माह में हुए अलग-अलग सड़क हादसों से सबक लेकर बसों की फिटनेस और चालकों की लापरवाही को लेकर कठौर कार्रवाई नहीं की गई।
नाममात्र के जुर्माना लगाने से तेज गति से दौड़ती बसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। नतीजन दोपहिया चालक और पैदल यात्रियों को हादसे का शिकार होना पड़ रहा है। जिला प्रशासन के निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा जनवरी से अक्टूबर तक दस माह सें बसों की जांच का अभियान नियमित चलाया जा रहा है। इस अवधि में साढ़े तीन सौ बसों से अधिक बसों पर कार्रवाई कर लाखों रुपये जुर्माना वसूला गया, वहीं 50 से अधिक बसों के फिटनेस निरस्त किए गए। लगतार हो रही कार्रवाई का असर शहर की सड़कों पर नहीं दिखाई दे रहा है।
बसों की रेस और तेज गति के कारण लगातार हादसे हो रहे है। स्कूल और कॉलेज संचालकों द्वारा बसों को चलाने वाले चालक और परिचालक की नियमित जांच और निगरानी का सिस्टम नहीं है। ऐसे में ड्राइवर पिक अवर्स में सड़कों पर रेस लगाते है और तेज गति से शिक्षण संस्थाओं की बसों को दौड़ाते है। शराब पीकर बस चलाने के मामले भी सामने आए है। जबकि जुलाई में आरटीओ ने बैठक लेकर शिक्षण संस्थाओं को निर्देशित किया गया था कि चालकों के पुराने रिकॉर्ड की जांच करने के बाद ही उनकों बस चलाने के लिए रखा जाएगा। वहीं नियमित ब्रेथ एनालाइजर से चालक और परिचालक की जांच की जाए।
बीते दस माह से बसों की जांच के कई अभियान चलाए गए, लेकिन हादसों पर अंकुश नहीं लगा। अब सड़क सुरक्षा समिति में लिए गए निर्णय के अनुसार सोमवार से शहर में चल रहे अनफिट वाहनों की जांच फिर शुरू होगी। स्कूल और यात्री बसों की जांच की जाएगी। इसके लिए एसडीएम के नेतृत्व में चार टीमे अगल-अलग स्थानों पर कार्रवाई करेगी।जांच का अभियान शुरू करने के साथ ही पुख्ता रूप से बसों और चालकों की पड़ताल भी की जाना चाहिए।
परिवहन कार्यालय इंदौर द्वारा स्कूल खुलने के बाद जुलाई से अब तक शिक्षण संस्थानों में जांच का अभियान चलाया जा रहा है। इसमें तीस से अधिक बसों को जब्त किया गया था।किसी में आपातकालीन द्वारा नहीं था, अतिरिक्त सीटे पाई गई थी, तो कही कागजात अधुरे थे। कुछ के फिटनेस भी निरस्त किए थे।दो माह पहले मेडिकेप्स विश्व विद्यालय के परिसर में जाकर बसों की जांच की गई थी और खामिया मिलने पर तीन बसों को जब्त किया गया था।
बसों की जांच का अभियान लगातार चलाया जा रहा है। शिक्षण संस्थानों में जाकर भी बसों की जांच कर कार्रवाई की गई थी। तय मापदंडों का पालन नहीं करने वाली बसों को जब्त कर जुर्माना लगाया जा रहा है और फिटनेस निरस्त किए जा रहे है। - प्रदीप शर्मा, आरटीओ
- शुक्रवार को राजकुमार ब्रिज के पास एक तेज गति से दौड़ रही शिक्षण संस्थान की बस ने दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी। इसमें एक की मौके पर मौत हो गई और एक घायल हुआ। बस की टक्कर से एक युवक के सिर में चौट आई और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
- अक्टूबर में राजकुमार ब्रिज पर ही एक तेज गति से दौड़ रही यात्री बस ने एक्टिवा को टक्कर मार दी थी। इसमें एक युवती घायल हो गई थी और बस फुटपाथ से टकरा गई थी।एक्टिवा बस के अगले पहिए में फंस गई थी, इसलिए अन्य लोग चपेट में नहीं आए।
- सितंबर में इंदौर-उज्जैन रोड पर घर लोट रहे दंपत्ति की बाइक को तेज गति से दौड़ रही बस ने पीछे से टक्कर मार दी थी। इसमें बाइक चालक महेंद्र सिंह सोलंकी, पत्नी और दो बच्चों की मौत हो गई थी। तेज गति के कारण चार लोगों की असमय जान चली गई
- अगस्त में अंतिम चौराहा पर तेज रफ्तार बस ने कई लोगों को रौंद दिया था। इसमें दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी।वही कई लोग घायल हुए थे। सड़क पर भारी ट्रैफिक होने के बावजूद चालक बस को तेज गति से दौड़ा रहा था।