हर्षल सिंह राठौड़, इंदौर, Devi Ahilyabai Holkar Jayanti 2021। इंदौर के साथ पूरे मालवा-निमाड़ में रानी अहिल्या बाई की कहानियां जर्रे-जर्रे में बसी हैं। वे न सिर्फ परम शिव भक्त थीं बल्कि अपनी प्रजा का भी बहुत ख्याल रखती थीं। सोमवार को मां अहिल्याबाई की 296वीं जयंती है। आइये उनसे जुड़ी कुछ बातें जानते हैं जो उनके वृहद व्यक्तित्व का आभास कराती हैं। आज हम जिस सीड बाल की बात करते हैं इसका अस्तित्व उस वक्त से है जब मालवा राज्य की बागडोर देवी अहिल्याबाई होलकर के हाथों में थी। अहिल्याबाई प्रतिदिन 11 हजार पार्थिव शिवलिंग का पूजन करती थी। मिट्टी से शिवलिंग बनाते वक्त वे हरेक शिवलिंग में अनाज के दाने या यूं कहें बीज रख देती थीं।
पूजा के बाद शिवलिंगों को नर्मदा नदी में विसर्जित कर दिया जाता था। शिवलिंग में बीज इसलिए रखा जाता था कि जब मिट्टी नदी के तल में जाए तो वहां रह रहे जीवों का पोषण उसमें रखे बीज से हो। यदि बीज बहाव से किनारे पर आ जाए तो वह अंकुरित होकर हरियाली बढ़ा सके। 26 वर्ष तक शासन करने वाली अहिल्याबाई होलकर ने राजनीति, धर्म और न्याय व्यवस्था के लिए जितने कार्य किए हैं उतना ही योगदान प्रकृति के संरक्षण में भी दिया।
हर खेत की मेढ़ पर होते थे 20- 20 पेड़ : इतिहासकार स्व. डा. गणेश मतकर के संग्रह के आधार पर उनके पुत्र सुनील मतकर ने बताया कि अहिल्याबाई ने किसानों को आदेश दिया कि खेत की मेढ़ पर 20-20 छायादार और फलदार पौधे लगाए जाएं। इनमें नीबू, गुलर, बरगद, पीपल, आम, इमली को प्राथमिकता दी। इससे मृदा का क्षरण भी नहीं होता था और कृषकों को पेड़ों के फलों को बेचकर प्राप्त होने वाली राशि मिलती थी।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जगाया : मातोश्री की लेखिका और लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन के अनुसार अहिल्याबाई ने मछली, पशु-पक्षी, नदी, तालाब, कुएं-बावड़ी, पेड़-पौधे यहां तक कि मिट्टी के संरक्षण की तक बात की बात की। उन्होंने खुद को कभी पर्यावरण का जानकार नहीं कहा लेकिन अपने प्रयासों से लोगों को इस कार्य के लिए अग्रसर किया। वे खेतों का एक भाग पशु-पक्षियों के लिए भी रखवाती थी ताकि उनका भरण-पोषण सहजता से हो। पद्मश्री भालू मोंढ़े के अनुसार हमने सड़कें चौड़ी करने के लिए पेड़ काटे, खेत की जमीनों पर टाउनशिप व फैक्ट्रियां बना दी, नदी-तालाबों को दूषित किया। ये काम अहिल्याबाई की मंशा के अनुरूप नहीं हैं।
पेड़ की कटाई मतलब ईश्वर के प्रति अपराध
सुनील मतकर बताते हैं कि अहिल्याबाई ने इस बात पर बल दिया था कि ईश्वर के समक्ष हम हमारे द्वारा किए गए कार्य के स्वयं जवाबदार होते हैं। यही बात उन्होंने बंजर या पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले भील, रामोजी और गौंड जनजाति के लोगों को समझाई। उन्हें समझाया कि वे जब भी कोई पेड़ काटें तो पहले इस बात का ध्यान करें कि 'पेड़ काटना ईश्वर के प्रति अपराध है'।
अहिल्याबाई की स्मृतियां
- छत्रीबाग में अहिल्याबाई होलकर की छत्री
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय
- देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल
- देवी अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय
- देवी अहिल्या गोशाला
- देवी अहिल्या कोविड केयर सेंटर