नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। देवास राजपरिवार के सदस्यों के बीच चल रहा संपत्ति विवाद अब हाई कोर्ट पहुंच गया है। मामले को लेकर तीन अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में प्रस्तुत हुई हैं। इनमें 26 सितंबर को सुनवाई होगी। देवास जिला न्यायालय ने 11 जनवरी 2025 को राजपरिवार की संपत्ति के बेचने-खरीदने पर रोक लगा दी थी। इसी आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत हुई है।
देवास राजपरिवार के स्वर्गीय तुकोजीराव पंवार की बहन महाराष्ट्र निवासी शैलजाराजे पंवार ने जिला न्यायालय में एक वाद प्रस्तुत किया है। इसमें देवास राजघराने की संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग करते हुए वादी शैलजाराजे ने कहा कि वे कृष्णाजीराव पंवार की पुत्री हैं। उन्हें उनकी संपत्तियों में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
इस वाद में गायत्रीराजे पंवार, विक्रमसिंह पंवार, कनिकाराजे पंवार, उत्तराराजे पाटनकर, देवकीराज फालके, महाराज तुकोजीराव पंवार धार्मिक एवं चैरिटेबल ट्रस्ट, महाराजा कृष्णाजीराव पंवार धार्मिक एवं चैरिटेबल ट्रस्ट, कलेक्टर देवास और रतलाम कलेक्टर पक्षकार हैं।
गायत्री राजे पवार।
इस मामले की सुनवाई करते हुए 11 जनवरी 2025 को जिला न्यायालय ने राजपरिवार की संपत्ति के व्यवहार पर रोक लगा दी थी। इसी फैसले को चुनौती देते हुए गायत्रीराजे पंवार की ओर से हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत हुई है। इसके अलावा शैलजाराजे पंवार ने भी वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्रसिंह छाबड़ा और मुदित माहेश्वरी के माध्यम से एक अन्य याचिका प्रस्तुत की है। इसमें कहा है कि महाराष्ट्र स्थित देवास राजपरिवार की संपत्ति पर निर्माण चल रहा है। उन्होंने इसे रोकने की मांग की है।
जिस संपत्ति को लेकर जिला न्यायालय में राजपरिवार के सदस्यों के बीच विवाद चल रहा है उसका बाजार मूल्य 12 अरब 39 करोड़ 50 लाख रुपये से ज्यादा बताया जा रहा है। इन संपत्तियों में देवास कोठी, ग्राम नागदा, ग्राम राधोगढ़, देवास सहित अलग-अलग जगह पर एक हजार एकड़ से ज्यादा जमीन, जयपुर का कोल्ड स्टोरेज, इंदौर का बंगला, आलोट, जयपुर, पुणे, अहमदनगर आदि स्थानों की संपत्तियां शामिल हैं।