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नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। राम मंदिर के लिए चंदा संग्रहण के दौरान हुए सांप्रदायिक विवाद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा प्रस्तुत जनहित याचिका में गुरुवार को अंतिम बहस हुई। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने उपस्थित होकर खुद बहस की। उन्होंने करीब 20 मिनट तक याचिका को लेकर अपने तर्क रखे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सांप्रदायिक विवादों को रोकने के उद्देश्य से सभी प्रदेशों के लिए गाइडलाइन बनाई है, लेकिन इसका पालन ही नहीं हो रहा है।
गाइडलाइन के हिसाब से प्रदेश सरकार को ऐसे स्थानों को चिह्नित कर वहां एसपी रैंक के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करना था, जहां सांप्रदायिक विवाद की आशंका है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गाइडलाइन के हिसाब से धरना-प्रदर्शन के दौरान लाउडस्पीकर के उपयोग की मनाही है लेकिन कुछ लोग मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर बजाकर दूसरों को उकसाते हैं और पुलिस कुछ नहीं करती। यह गाइडलाइन का उल्लंघन है।
इधर सरकार का कहना था कि गाइडलाइन का पालन कराया जाता है। उल्लंघन होने पर एफआइआर भी दर्ज करते हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। हाई कोर्ट के कक्ष नंबर दो में युगलपीठ के समक्ष याचिका पर दोपहर करीब एक बजे सुनवाई शुरू हुई। सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे राम मंदिर के विरोध में नहीं हैं, लेकिन चंदा संग्रहण के दौरान हुए सांप्रदायिक विवाद को लेकर याचिका दायर की है। सिंह ने बहस शुरू करते हुए कहा कि हम सिर्फ यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराया जाए।
सुप्रीम कोर्ट सभी प्रदेशों के लिए स्पष्ट गाइडलाइन जारी कर चुकी है लेकिन उपद्रव होने, धार्मिक रैली, जुलूस इत्यादि में इसका पालन नहीं हो रहा है। उपद्रव होने या सांप्रदायिक विवाद के पीड़ितों को मुआवजा कैसे मिलेगा, पीड़ित किसके सामने शिकायत करें, किससे संपर्क करें यह स्पष्ट नहीं है जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन में इन सभी के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। गाइडलाइन का पालन ही नहीं हो रहा। सिंह ने मांग की कि कोर्ट समिति गठित करे। इसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह विभाग और डीजीपी शामिल किए जाएं।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता दिग्विजय सिंह पर दस वर्ष में 11 अपराध दर्ज हो चुके हैं। इस पर सिंह ने कहा कि ये सभी राजनीतिक मामले हैं। मुझ पर भ्रष्टाचार का एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। अतिरिक्त महाधिवक्ता मुझे आदतन अपराधी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।
जनहित याचिका पर दोपहर करीब एक बजे सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई शुरू होते ही एक अधिवक्ता ने यह कहकर सीधे प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की कि याचिका में सांप्रदायिकता के मुद्दे पर बहस होनी है। इस पर सुनवाई का सीधा प्रसारण बंद कर दिया गया।