इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि International Doctors Day। कोविड संक्रमण के दौरान शहर में हजारों चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर मरीजों का उपचार किया। कोविड मरीजों का उपचार करने के दौरान वे कई महीनों तक अपने घर-परिवार से दूर रहे। कई चिकित्सकों को कोविड संक्रमण भी हुआ लेकिन उन्होंने उसके बाद भी मरीजों की सेवा के प्रति उनका समर्पण कम नहीं हुआ। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भी उन्होंने वीडियो काल व अन्य तरीकों से मरीजों की मदद कि ताकि उनकी जान बचाई जा सके। एक रिपोर्ट...
कोविड संक्रमण हुए पांच दिन ही बीते थे लेकिन रात में जागकर मरीज का किया उपचार
अरबिंदो अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. रवि डोसी ने पिछले डेढ़ साल में करीब 22,500 कोविड मरीजों का इलाज किया। कोविड के शुरुआती दौर में जब संक्रमण बढ़ रहा था उस समय करीब छह माह तक वो अपने घर परिवार से दूर रहकर मरीजाें का इलाज करते रहे। वे अपने बच्चों से विडियो कालिंग पर ही बात किया करते थे। मरीजों का इलाज करने के दाैरान सितंबर माह में वो कोविड संक्रमित हो गए थे और 12 दिन आइसोलेशन में रहे।
इस दौरान वे जिस फ्लोर पर भर्ती थे वहां पर वार्ड में मरीजों का हाल चाल भी लेते थे। उस फ्लोर पर कुछ मरीजों की वार्ड में हालत गंभीर देख उन्हें आइसीयू में भी शिफ्ट करवाया था। कोविड संक्रमण के उन्हें जब पांच दिन ही हुए थे। उस दिन रीवा से डा. नरेश बजाज को रात तीन बजे आक्सीजन व एम्बुलेंस में अस्पताल लाया गया था। उस समय डा. रवि डोसी रात में ही उनके उपचार के लिए पहुंचे और दो घंटे वहां मौजूद रहकर उनके उपचार की योजना बनाकर अधीस्थ स्टाफ को दी।
मरीज के जान बचाने के लिए बिना पीपीई किट पहने किया इलाज तो खुद हो गई संक्रमित
इंडेक्स मेडिकल कालेज में कोविड कंसल्टेट व एनेस्थेटिस्ट डा. अवनिंदर नैय्यर पिछले साल अक्टूबर माह में मरीज का इलाज करने के दौरान कोविड पाजिटिव हुई थी। वे बताती है अक्टूबर मेंअस्पताल में एक गंभीर मरीज आया जिसकी आांतों में संक्रमण था और उसक जल्द ऑपरेशन करना जरुरी था। उसका आक्सीजन सेचुरेशन 66 फीसद था। यदि उसकी आरटीपीसीआर जांच की जाती तो काफी देरी हो जाती। आपरेशन से पहले उसकी सांस की नली में ट्यूब डालकर फेफड़ों में एनेस्थीसिया देने में जुनियर डाक्टरों को मुश्किल आ रही थी। यह जानकारी मिलने पर जब मैं ओटी में आई तो देखा कि मरीज का सेचुरेशन मानीटर पर 25 से 26 दिख रहा है। उस समय मैंने सोचा कि यदि पीपीई किट पहनूंगी तो देर हो जाएगी।
ऐसे में बिना पीपीई किट पहने ही मैंने मरीज को एनेस्थीसिया दिया। इस घटना के बाद कोविड संक्रमण होने से तीन दिन बाद डा. नैय्यर को बुखार आया और रात में आक्सीजन सेचुरेशन 83 तक पहुंच गया। डा. नैय्यर बताती है इलाज के पश्चात वो खुद भी स्वस्थ्य हुई और आपरेशन के बाद मरीज भी स्वस्थ हुआ। सात दिन तक मैं आइसोलेशन में रही। आइसोलशेन के चार दिन बाद ही वीडियो काल के माध्यम से मैंने कोविड मरीजों को आईसीयू में वेंटीलेटर व बाइपेप के दौरान सांस नली में ट्यूब डालने का मार्गदर्शन अपने अधीनस्थ स्टाफ को दिया।
संक्रमित होने के बाद भी नर्सेस व स्टाफ को किया गाइड ताकि मरीज का हो बेहतर उपचार
एमआरटीबी में चेस्ट फिजिशियन डा. दिलीप सिंह चावड़ा सितंबर 2020 में मरीजों के इलाज करने के दौरान ही संक्रमित हुए थे। उनके फेफड़ों में निमोनिया होने के कारण वो एमआरटीबी में नौ दिन तक भर्ती रहे। तीन दिन बाद जब उनकी बीमारी के लक्षण नियंत्रित हो गए तो वे वार्ड में भर्ती कोविड पाजिटिव मरीजों की मदद भी करने लगे। वार्ड में यदि कोई मरीज गंभीर होता था तो उसके लक्षण देख उसे आक्सीजन उपलब्ध करवाने व नर्सिग स्टाफ को गाइड करने में सहयोग देते रहे है।
एमआरटीबी में मौजूद रेसीडेंट डाक्टरों को भी वो गाइड करते थे कि किस तरह मरीजों का ट्रीटमेंट देना है। मार्च 2020 जब शहर में कोविड संक्रमण बढ़ा था तो उस समय सबसे पहले एमआरटीबी में मरीजों को उपचार के लिए भर्ती किया जाना शुरु किया था। अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों की शुरुआती टीम में डा. चावड़ा भी शामिल थे। वे मरीजों का इलाज करने के दौरान वे अपने घर से चार माह तक दूर रहे। अस्पताल में ड्यूटी के बाद अलग आइसोलेशन में रहने के लिए रुम लिया ताकि परिवार तक संक्रमण न पहुंचे।