बोलियों में रचनाकर्म करना बोलियों की बड़ी सेवा
मालवी में हुए इसके अनुवाद से कई नए पाठक इसका आस्वाद ले सकेंगे।
By gajendra.nagar
Edited By: gajendra.nagar
Publish Date: Wed, 26 May 2021 10:23:50 AM (IST)
Updated Date: Wed, 26 May 2021 10:23:50 AM (IST)

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अनुवाद कार्य महज दो भाषाओं को जोड़ने का काम नहीं है बल्कि इससे चारों ओर संवेदनाओं के तट-बांधों को तोड़ते हुए दो संस्कृतियों और परंपराओं को जोड़ने का कार्य संभव हो पाता है। यह बात हरिशंकर परसाई के लघु उपन्यास "तट की खोज' का मालवी में अनुवाद करके हेमलता शर्मा ने चरितार्थ की है। यह बात मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान के पटल पर 'किनारा की खोज" अपणो मालवो भाग दो पुस्तक के इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हुए विमोचन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि मालवी में हुए इसके अनुवाद से कई नए पाठक इसका आस्वाद ले सकेंगे।
कार्यक्रम का शुभारंभ शोभारानी तिवारी ने सरस्वती वंदना से किया। आयोजन की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डा. विकास दवे ने कहा कि बोलियों में रचनाकर्म करना वास्तव में बोलियों की बहुत बड़ी सेवा है। बोली को भाषा बनने की यात्रा में यह सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है। आयोजन की अतिथि मालवा प्रांत की अध्यक्षा माया मालवेंद्र बदेका व संस्थान की अध्यक्ष डा.स्वाति तिवारी ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर हरिशंकर परसाई के भतीजे मुकेश दीवान सहित चेतना भाटी, हरमोहन नेमा, जीडी अग्रवाल, महेश हनोतिया, प्रलय श्रीवास्तव, अजय चौबे, मुकेश शर्मा, राघवेंद्र तिवारी, रागिनी शर्मा, रश्मि चौधरी, अपर्णा तिवारी, सुषमा व्यास, शशि निगम, पंकजा सोनवलकर, प्रतिभा जोशी, अनिल ओझा, सतनामी 'सरल" दादा भीम सिंह पंवार, प्रदीप नाईक, स्वामी मुस्कुराके, वासुदेव पटेल तंवर, विक्रम क्षीरसागर, अश्विनी त्रिवेदी आदि साहित्यकार मौजूद थे। संचालन यशोधरा भटनागर ने किया। आभार अलक्षेंद्र व्यास ने माना।