इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शिक्षकों की भर्ती से जुड़े नियम सख्त करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी अनिवार्य कर दी है। इसके चलते अब पीएचडी के अलावा शिक्षकों की रुचि डाक्टर आफ लेटर्स (डी-लिट) करने में भी नजर आ रही है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के 58 साल के इतिहास में अंग्रेजी विषय की पहली डी-लिट हुई है, जो शिक्षिका डा. प्रियंका पसारी को 30 जून को प्राप्त हुई है।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों के मुताबिक अब तक सिर्फ दस शिक्षकों ने डी-लिट की उपाधि प्राप्त की है, जिसमें वाणिज्य विषय में दो शिक्षक शामिल हैं। हालांकि इन दिनों विश्वविद्यालय में डी-लिट करने के लिए भी आवेदन आना शुरू हो चुके हैं। अंग्रेजी विषय की पहली डी-लिट के लिए डा. प्रियंका ने 15 अगस्त 2015 में पंजीयन करवाया था। विषय जर्नी आफ इमोशन था। पांच साल में डी-लिट पूरी कर ली थी। 2021 में थीसिस जमा कर दी। साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समिति की रिपोर्ट जमा हुई। उसके आधार पर विश्वविद्यालय ने 30 जून को डी-लिट उपाधि की अधिसूचना जारी की है। पीएचडी सेल के मुताबिक अंग्रेजी विषय में डा. अशोक सचदेवा और डा. मनीषा शर्मा ने भी पंजीयन करवा रखा है। इनकी डी-लिट पूरी होने में अभी समय है। पीएचडी सेल प्रभारी डा. प्रकाश गढ़वाल का कहना है कि विश्वविद्यालय में डी-लिट करने वालों की संख्या बहुत कम है।
कार्यपरिषद सदस्य के पास भी उपाधि - विश्वविद्यालय में आठ विषयों में डी-लिट हुई है। डा. प्रकाश कुमार (संगीत), डा. ममता रायकवार (राजनीति शास्त्र), कला जोशी (हिंदी), गोविंद गोंदे (संस्कृति), डा. एमएल वर्मा (सामाजिक शास्त्र), डा. आरती (इतिहास), डा. मंगल मिश्र, डा. जयंतीलाल भंडारी (कामर्स), डा. राजेंद्र शर्मा (फिलोसफी) विषय हैं। कार्यपरिषद सदस्य डा. मंगल मिश्र ने कहा कि उन्होंने 1998 में डी-लिट की उपाधि हासिल की है। छह विषय में पीएचडी भी विश्वविद्यालय से की है।
ये हैं नियम -