
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: करीब दो अरब रुपये के बैंक लोन घोटाले में आरोपित रुचि समूह और शाहरा बंधु अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में आ गए हैं। ईडी ने रुचि ग्रुप के दिवंगत प्रमोटर कैलाशचंद्र शाहरा के आवास और कार्यालयों सहित उनके पुत्र उमेश शाहरा व परिवार से जुड़े इंदौर और मुंबई स्थित ठिकानों पर छापेमारी की।
जांच के दौरान ईडी ने शाहरा परिवार के सदस्यों के बैंक खातों को फ्रीज करते हुए उनमें जमा 20 लाख रुपये से अधिक की राशि रोक दी है। इसके अलावा विभिन्न ठिकानों से 23 लाख रुपये नकद भी जब्त किए गए हैं।
रुचि ग्रुप की कंपनियों ने वर्ष 2016-2017 में बैंकों के कंसोर्टियम से 188.35 करोड़ रुपये का लोन प्राप्त किया था। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस राशि का दुरुपयोग कर बैंक लोन फ्राड को अंजाम दिया गया। इस मामले में सीबीआइ पहले ही एफआइआर दर्ज कर चुकी है।
CBI ने वर्ष 2021 में रुचि ग्लोबल लिमिटेड (जो बाद में एग्रोट्रेड इंटरप्राइजेस बनी), रुचि एक्रोनी (जो बाद में स्टीलटेक रिसोर्स लिमिटेड बनी) और आरएस स्टील (अब एलजीबी स्टील) को जांच के दायरे में लिया था। बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में उमेश शाहरा, साकेत भदौरिया और आशुतोष मिश्रा को आरोपित बनाया गया है।
CBI की FIR के आधार पर ED ने भी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि बैंक लोन की रकम को शैल कंपनियों के जरिए घुमाया गया और अकाउंटिंग में हेरफेर कर राशि हड़पी गई। फर्जी क्रेडिट नोट, बिल और वाउचर के माध्यम से पैसों को व्यापार में लगाने के बजाय निजी इस्तेमाल में लाया गया।
छापेमारी के दौरान ईडी ने डिजिटल डाटा, कंप्यूटर रिकॉर्ड और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जब्त किए हैं। ईडी आगे की कार्रवाई में लोन घोटाले से अर्जित संपत्तियों को अटैच करने की प्रक्रिया भी शुरू कर सकता है।