इंदौर ( नईदुनिया प्रतिनिधि )। सब्जी और फल की प्रदेश की सबसे बड़ी देवी अहिल्याबाई होलकर (चोइथराम) फल और सब्जी मंडी की 210 दुकानों की लीज अवधि खत्म हुए छह साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक इन दुकानों पर उन्हीं व्यापारियों का कब्जा है। दुकानों को लेकर छह साल से भारी अनियमितता का दौर चल रहा है। मंडी प्रशासन और मंडी बोर्ड अपनी ही संपत्ति को दुकानदारों को सौंपकर खाली हाथ बैठे हैं। इन दुकानों की 30 साल की लीज अवधि 2016 में खत्म हो चुकी थी। फिर भी इतने समय में दुकानों पर काबिज दुकानदारों को मंडी बोर्ड और मंडी समिति नहीं हटा पाई।
देखा जाए तो नए सिरे से इन दुकानों को लीज पर देने से मंडी बोर्ड और सरकार को करीब 225 करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी छह साल से चुप बैठे हैं। अवैध रूप से जमे दुकानदारों को हटाने के लिए मंडी समिति कुछ नहीं कर रही है। दुकानदार मंडी समिति द्वारा नए सिरे दुकानों को लीज पर देने के बजाय लीज का नवीनीकरण चाहते हैं ताकि जिस दुकानदार के पास जो दुकान है वह उसके पास ही रहे। इस तरह अगले तीस साल के लिए ये दुकानें फिर उनके ही पास रह जाएंगी। इस मामले में अधिकारियों ने दिखावे के लिए मंडी समिति ने इन दुकानदारों के लायसेंसों का नवीनीकरण नहीं किया है, लेकिन दुकानदार उन्हीं दुकानों पर कब्जा जमाकर अपना कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में पूरा मामला व्यापारियों और अधिकारियों के बीच मिलीभगत को साबित करता है।
मंडी बोर्ड और समिति नहीं ले रही रुचि - मंडी बोर्ड और मंडी समिति चाहती तो लीज खत्म होने के बाद दुकानदाराें को बेदखल कर सकती थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया। चोइथराम मंडी की 210 दुकानें 1986 में 30 साल की लीज पर दी गई थी। तीस साल की यह लीज अवधि अप्रैल, 2016 में खत्म हो गई। अब इन दुकानों की लीज राशि करोड़ों में पहुंच चुकी है। बताया जाता है कि मंडी की 70 फीसद दुकानों पर मूल लीजधारक काबिज न होकर दूसरे ही दुकानदार कारोबार कर रहे हैं। मूल लीजधारकों ने लीज की दुकानें या तो बेच दी हैं या किराए पर दे दी है और इससे लाखों रुपये कमा रहे हैं। दुकान आवंटन नियम के अनुसार लीज की दुकान को बेचना या किराए पर देना लीज आवंटन नियमों का उल्लंघन है। यदि मंडी समिति या मंडी बोर्ड इसकी जांच कराए तो हकीकत सामने आ सकती है कि दुकानों पर मूल लीजधारक कारोबार नहीं, बल्कि दूसरे कारोबारी काबिज हैं।