Excise Department : इंदौर { नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में आबकारी विभाग द्वारा शराब की दुकानों के ठेके देना जारी हैं। जिले और शहर की 173 शराब दुकानों के 64 समूह के ठेके होना है। शुक्रवार को तीन और समूह के ठेके हो चुके हैं। इसके साथ ही अब तक 36 समूह के ठेके हो चुके हैं, जबकि 28 समूह के ठेके अब भी बाकी हैं। बचे हुए समूह के लिए शनिवार को फिर टेंडर किए जा रहे हैं। आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त राज नारायण सोनी ने बताया कि कहा कि यदि शराब की दुकानों का कोई समूह 31 मार्च तक आवंटन से बचा रहता है, तो मुख्यालय उसके निपटान के लिए उचित निर्णय लेगा।
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इन शराब दुकानों के ठेके से 1349 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का लक्ष्य रखा है। अब तक हुए ठेकों से लगभग आधे लक्ष्य की प्राप्ति हो चुकी है। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अब तक आधार मूल्य पर या उससे अधिक बोली लगाने वाले ठेकेदारों को अगले वित्तीय वर्ष के लिए शराब की दुकानों का लाइसेंस आवंटित किया गया है। शेष समूह के लिए ठेकेदारों से संपर्क किया जा रहा है और उनके काउंटर पर सुरक्षा सहित सभी संभव सहायता (नियमों और विनियमों के अनुसार) का आश्वासन दिया जा रहा है। शराब दुकान को शिफ्ट करने या खोलने के लिए उपयुक्त जगह खोजने में मदद की जा रही है।
दो समूह को नवीनीकरण के तहत दिए ठेके - उल्लेखनीय है कि चालू वित्तीय वर्ष में इंदौर जिले की 175 शराब दुकानों के ठेके दो समूह को ही दिए गए थे। इनमें महाकाल समूह और मां कस्तूरी समूह शामिल हैं। दोनों समूह को 10 महीने के लिए यह ठेका 910 करोड़ रुपये में दिया गया था। दरअसल, वर्ष 2021 में अप्रैल और मई में कोरोना की दूसरी लहर चरम पर होने से लाकडाउन था। इस कारण वर्ष 2020-21 में जिन समूह को ठेका दिया गया था, उन्हें ही नवीनीकरण के तहत वर्ष 2021-22 का ठेका भी दिया गया। इसमें अप्रैल और मई 2021 के सख्त लाकडाउन के दो महीने छोड़कर जून 2021 से मार्च 2022 तक का ठेका दिया गया है।
25 और 15 प्रतिशत मूल्य बढ़ाकर आरक्षित मूल्य तय - सहायक आयुक्त सोनी ने बताया कि वर्ष 2019-20 में छाेटे-छोटे समूह के बीच ही ठेके हुए थे। नए वित्तीय वर्ष के लिए भी शासन ने उसी के आधार पर शराब दुकानों के टेंडर करने के निर्देश दिए हैं। नई नीति के तहत उसी अनुसार आनलाइन टेंडर किए जा रहे हैं। देशी शराब दुकानों पर 25 और विदेशी शराब की दुकानों पर 15 प्रतिशत राजस्व बढ़ाकर आरक्षित मूल्य तय किया गया है। उधर ठेकेदारों के अनुसार, शराब नीति में कुछ बदलाव कर शराब की दुकानों के आवंटन के लिए वार्षिक लाइसेंस शुल्क 15 प्रतिशत से बढ़ाकर अगले वित्तीय वर्ष के लिए 20 प्रतिशत करने और विदेशी और देशी शराब की दुकानों का विलय करने के कारण ठेकेदार नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने में कम रुचि दिखा रहे हैं।