
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। साइबर अपराधियों ने ठगी का ऐसा तरीका अपनाया है, जिसमें पुलिसकर्मी भी शिकार बन गए हैं। हैक किए गए पुलिसकर्मियों के मोबाइल नंबर और व्हाट्सएप अकाउंट से आम लोगों को ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन का फर्जी ई-चालान भेजा जा रहा है। इस मैसेज के साथ करीब सात एमबी की एक एपीके फाइल अटैच रहती है। जैसे ही यूजर इसे ट्रैफिक पुलिस का असली नोटिस समझकर डाउनलोड या ओपन करता है, उसका मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में चला जाता है।
यह होती है एपीके फाइल
एपीके (एंड्रॉयड पैकेज किट) एंड्रॉयड मोबाइल में एप इंस्टाल करने की फाइल होती है। जैसे कंप्यूटर में .exe फाइल होती है, वैसे ही एंड्रॉयड में .apk फाइल से एप इंस्टाल होता है। सामान्य तौर पर सुरक्षित एप गूगल प्ले स्टोर से इंस्टाल किए जाते हैं, जबकि एपीके फाइल व्हाट्सएप, टेलीग्राम, ईमेल या लिंक के जरिए भेजी जाती है।
एपीके फाइल से ही ठगी क्यों
मोबाइल का कंट्रोल पाना आसान
बैंकिंग की जानकारी मिल जाती है
ओटीपी भी देख सकते हैं
स्क्रीन और कीबोर्ड का एक्सेस मिल जाता है
इस कारण अधिक खतरनाक
एपीके फाइल या लिंक आए तो क्या करें
गलती से एपीके फाइल खोल ली है तो क्या करें
पुलिस का क्या कहना है
एडिशनल डीसीपी, राजेश दंडोतिया का कहना है कि "इस तरह की फर्जी एपीके फाइलें भेजने वाले पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं। इसे देखते हुए क्राइम ब्रांच की साइबर टीम ने पुलिसकर्मियों के साथ-साथ आम नागरिकों के लिए भी एडवाइजरी जारी की है। हैक किए गए मोबाइल नंबरों और साइबर गिरोह के स्रोत की जांच की जा रही है।"