लोकेश सोलंकी, नईदुनिया, इंदौर। किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ की पैकिंग पर अब 100 प्रतिशत के चिह्न का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इस पर रोक लगा दी है। प्राधिकरण ने माना है कि 100 प्रतिशत के दावे और निशान से उपभोक्ता भ्रमित हो रहे हैं।
पहले प्राधिकरण ने सिर्फ पैक्ड फलों के रस को लेकर ऐसे निर्देश दिए थे लेकिन अब सभी तरह के खाद्य पदार्थों को इसके दायरे में लिया गया है। इसमें इंटरनेट मीडिया इंफ्लूएंसरों की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। हालांकि उद्योगों का धड़ा इस नियम पर पुनर्विचार की मांग कर रहा है।
बीते दिनों एफएसएसएआई ने सभी खाद्य पदार्थ निर्माताओं के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा कि खाद्य उत्पाद लेबल, पैकेजिंग और प्रचार सामग्री पर 100 प्रतिशत शब्द का उपयोग न किया जाए। इसके साथ ही ऐसे शब्द या चिह्न वाली पुरानी पैकिंग भी सितंबर माह तक बाजार से हटा ली जाए।
इस आदेश के पीछे कारण बताते हुए एफएसएसएआई ने माना कि नियामक प्रविधानों तहत इसमें अस्पष्टता है, ऐसे में इसकी गलत व्याख्या उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकती है।
खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम 2018 में 100 प्रतिशत शब्द को किसी भी तरह से परिभाषित नहीं किया गया है। ऐसे में यह शब्द उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकता है। इस बीच देश में खाद्य तेल उत्पादकों की शीर्ष संस्था साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) ने एफएसएसएआई को ज्ञापन सौंप कर मांग रखी है कि जारी निर्देश पर पुनर्विचार किया जाए।
नियमों में ही मिलावट की छूट
दरअसल, देश के खाद्य सुरक्षा और मानक विनिमय में ही तमाम खाद्य पदार्थों में सम्मिश्रण या तय पैमानों तक सम्मिश्रण की छूट दे रखी है। जैसे किसी खाद्य वस्तु चाहे बिस्किट हो या घी-तेल से बना कोई पदार्थ या कुकिंग मीडियम, यदि उसमें दो प्रतिशत तक ट्रांसफेट है तो उसे नियमों में ट्रांसफेट फ्री माना जाएगा।
इसी तरह खाद्य तेलों में 20 प्रतिशत तक ब्लेंडिंग (मिश्रण) की छूट सरकार ने ही दे रखी है, यानी एक तेल में दूसरे तेल की 20 प्रतिशत तक मिलावट की जा सकती है। सिर्फ सरसों तेल में किसी अन्य तेल की ब्लेंडिंग पर रोक है। काफी पावडर भी उदाहरण है क्योंकि देश के खाद्य सुरक्षा नियम छूट देते हैं कि इंस्टेंट काफी पावडर में चिकोरी के पौधों का पावडर मिलाया जा सकता है।
तमाम इंस्टेंट काफी पावडर में 49 प्रतिशत तक चिकोरी की ब्लेंडिंग की छूट दी गई है। इसी तरह मक्खन के विकल्प के तौर पर बटरिन या माजरिन जैसे पदार्थ बाजार में बिक रहे हैं। किसी पदार्थ के 100 ग्राम या 100 मिली में 0.59 ग्राम शुगर है तो उसे शुगर फ्री माना जाने की इजाजत नियम देते हैं। ऐसे में ऐसे तमाम उत्पादों पर 100 प्रतिशत का मार्का उपयोग किए जाने पर भी इससे पहले तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती थी।
100 प्रतिशत के निशान का उपयोग नहीं करने के निर्देश का हम समर्थन करते हैं। यह उपभोक्ताओं और बाजार के हित में है। खाद्य पदार्थों के मानकों में कठोर पैमाने देश और समाजहित में हैं। - रमेश खंडेलवाल, सदस्य राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड भारत सरकार
हमने एफएसएसएआई से 100 प्रतिशत शब्द पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। हम मांग कर रहे हैं कि यदि कोई उत्पाद तथ्यों और मानक पर खरा उतरते हैं तो उन्हें 100 प्रतिशत का उपयोग करने की इजाजत देना चाहिए। - डॉ. बीवी मेहता, कार्यकारी निदेशक (एसईए)