इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Best From Waste In Indore । प्लास्टिक की खाली बोतलों से साजवटी पेड़, बेकार टायर से सोफे, कलपुर्जों से घड़ी, टूटे मकानों से मिली लकड़ियों से फर्नीचर और बोतलों के ढ़क्कन से खूबसूरत पोट्र्रेट। कबाड़ से जुगाड़ और जुगाड़ के साथ उपयोगिता का ये खूबसूरत तालमेल लिए इन दिनों शहर के चार युवा सृजन की नई परिभाषा लिख रहे हैं, जिसमें शहर के बगीचों और चौराहों को खूबसूरत बनाने का प्रयास तो है ही साथ ही लोगों की सोच बदलकर उनुपयोगी वस्तुओं को उपयोगी सामग्री में तब्दिल करने की जिद भी है।
लाकडाउन के खाली वक्त और बंद बाजार के बीच कुछ अलग करने के लिए इन युवाओं ने प्रयास शुरू किया जो अब रंग लाने लगा है। फाइनआर्ट कर चुके यह युवा इन दिनों चार आर (रीयूज, रिड्यूज, रिसाइकल और रिफ्यूज) के कंसेप्ट पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत वे मालवा मिल, संगमनगर के उद्यान को तो खूबसूरत रूप दे ही चुके हैं, अब घरों को भी खास बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
फाइनआर्ट कर रहे चार विद्यार्थी जयति कोठारी, सुधीर सिंह राणा, शुभम बरकिया और अमर मथने अब चित्रकारी के साथ यह कार्य कर रहे हैं। जयति बताती हैं कि लाकडाउन के दौरान उन्हें जब एक परिचित ने निगम के लिए स्वच्छ शहर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए कुछ कलाकृति बनाने की बात कही तो सबसे बड़ी समस्या सामग्री की अनुपलब्धता थी। ऐसे में कबाड़ से बेहतर बनाने की योजना मन में आई और प्लास्टिक की खाली बोतलों से पेड़ बनाया। बाद में महसूस हुआ कि कुछ ऐसी वस्तुएं बनाना चाहिए जो केवल सजावट में ही काम नहीं आए बल्कि ज्यादा से ज्यादा उपयोगी साबित हो। इसके बाद फर्नीचर बनाने पर ध्यान देना शुरू किया।
बचा सकते हैं राशि भी
फर्नीचर के लिए अमूमन नई लकड़ियों का इस्तेमाल किया जात है। अमर और सुधीर सिंंह कहते हैं कि चार आर कंसेप्ट के जरिए हम यह बताना चाहते हैं कि हर सृजन के लिए जरूरी नहीं कि नवीन वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाए, इसलिए हमने फर्नीचर बनाने में भी पुरानी वस्तुओं का उपयोग करना शुरू किया। नई सामग्री के बजाए पुरानी वस्तुओं का इस्तेमाल कर बनने वाले फर्नीचर में 30 से 40 प्रतिशत तक राशि भी बचाई जा सकती है।