इंंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Stock Limit Indore। एक दिन के अचानक व्यापार बंद करने और दो दिन की हड़ताल के बाद बुधवार सेे इंदौर के साथ प्रदेश की अनाज मंंडियां फिर से खुल गई। कामकाज सामान्य हो गया। तीन दिन पहले जब सरकार ने स्टाक लिमिट लागू की थी तब व्यापारी और उनके संगठन जोरदार विरोध की बात कह रहे थे। दो दिन की हड़ताल के बाद न कानूनी राहत के लिए व्यापारी आगे बढ़े न आंदोलन की अगली रणनीति घोषित की। व्यापारियों अचानक खत्म हुई हड़ताल और शांत हुए विरोध के पीछे अनाज-दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ की फूट को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
बुधवार को मंडी खुलने के बाद छावनी अनाज मंडी में माल की आवक कमजोर रही। दरअसल जिस हिसाब से व्यापारियों ने विरोध शुरू किया था उससे माना जा रहा था कि आंदोलन लंबा चलेेगा। ऐसे में किसान मंडी खुलने न खुलने को लेकर शंकित थे और कम ही किसान माल लेकर मंडी में पहुंचे। नतीजा दलहन के दामों में थोड़ा सुधार हुआ। हालांकि व्यापारियों का उत्साह गिरा हुआ रहा। व्यापारियों के अनुसार स्टाक लिमिट के मुद्दे पर बड़ी घोषणा के साथ शुरू हुआ आंदोलन एकाएक खत्म कर दिया गया, जबकि मप्र के अलावा अन्य प्रदेशों में लिमिट का विरोध और आंदोलन जारी है।
इंदौर मंडी के कारोबारी कह रहे हैं कि प्रदेश के आंदोलन की कमान सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंंघ को संभालना थी। महासंघ ने 6 जुलाई को हड़ताल की घोषणा की। आगे भी कड़े आंदोलन की बात कही गई थी। हालांंकि हुआ ये कि महासंंघ के ऐलान के बाद पूरे प्रदेश में मंडियों में कामकाज बंद रहा। लेकिन इंदौर के पास देवास की मंडी खुली रही और व्यापार भी जारी रहा। इससे आंदोलन को झटका लगा। क्योंकि व्यापार महासंघ में खुद देवास के कारोबारी पदाधिकारी है। ऐसे में जिस मंडी में व्यापारी महासंघ का पदाधिकारी ही हो और वहां हड़ताल का पालन नहीं हो तो आंदोलन पटरी से उतरना तो तय है।
देवास की मंडी को खुली देखने के बाद प्रदेश के सभी मंडियों ने बुधवार से काम शुरू कर दिया। इससे कारोबारियों का विरोध कमजोर पड़ गया है और सरकार की जीत के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर कान्फेडरेशन आफ इंडियन ट्रेडर्स (केट) की मप्र ईकाई ने केंद्रीय मत्री पीयूष गोयल को ज्ञापन भेजकर स्टाक लिमिट का बंधन हटाने की मांग की है। केट ने कहा है कि स्टाक लिमिट से व्यापार और रोजगार प्रभावित होगा। यह न्यायोचित भी नहीं है।
विभीषण हर जगह होते है
सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने कहा कि आंदोलन और विरोध खत्म नहीं किया गया है। बल्कि स्थगित किया है। हम इंतजार कर रहे हैं कि केंद्र में मंत्रीमंडल विस्तार हो उसके बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्री को अपनी बात पहुंचाएं। यह कहना ठीक नहीं होगा कि देवास मंडी खुलने से आंदोलन खत्म करना पड़ा। देवास की मंडी अपवाद है। वहां पदाधिकारी और उनके भाई ही काम कर रहे हैं। उनका पारिवारिक विवाद है इसलिए एक ने बंद करवाई तो दूसरे ने मंडी खुलवा दी। विभीषण तो हर जगह होते हैं।