नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। आप व्यापारी हैं और गलत तथ्य देकर टैक्स चोरी की मंशा से 2000 रुपये कम टैक्स भरा तो विभाग चोरी पकड़ने के बाद आपसे चार हजार रुपये पेनाल्टी के वसूलेगा। हालांकि यदि यह साबित हुआ कि आपकी मंशा टैक्स चोरी की नहीं थी। गलती से टैक्स कम भरा है तो फिर आपसे पांच गुना ज्यादा यानी 20 हजार रुपये पेनाल्टी के रूप में वसूले जाएंगे।
मप्र टैक्स बार एसोसिएशन और कमर्शियल टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन ने इस संबंध में सेंट्रल और राज्य के जीएसटी कमिश्नरों को पत्र लिखा है। बीते दिनों हुई राष्ट्रीय टैक्स कांफ्रेंस कर-चिंतन के दौरान भी कुछ विशेषज्ञों के मंथन में यह बिंदु उजागर हुआ।
कई वकीलों ने कानून की इस विसंगति का लाभ उठाने का मशविरा भी पेशेवरों को दिया कि बेहतर है जब तक नियम न बदले कर कम जमा करने के छोटे प्रकरणों में व्यापारी को बेईमान दिखाना ही लाभ का सौदा रहेगा।
जीएसटी एक्ट में कर चोरी के प्रकरणों में पेनाल्टी का निर्धारण धारा 73 और धारा 74 के तहत करने का प्रविधान किया गया है। धारा 73 उन मामलों में लागू होती है, जहां व्यापारी द्वारा कर चोरी की मंशा न हो और तथ्यों को जानबूझकर छुपाया न गया हो।
इस मामले में एक्ट में लिख दिया है कि व्यापारी से या तो कम चुकाए गए टैक्स के साथ ही उसके 10 प्रतिशत की राशि या फिर 10 हजार रुपये इनमें से जो भी अधिक राशि हो वो पेनाल्टी के रूप में वसूली जाएगी। यानी 10 हजार रुपये तो पेनाल्टी लगानी होगी।
इसके उलट व्यापारी ने कर चोरी जानबूझकर की तो धारा 74 में नियम है कि उससे कम चुकाए कर की राशि के 100 प्रतिशत के बराबर पेनाल्टी ली जाएगी। इसमें न्यूनतम पेनाल्टी की राशि नहीं लिखी है। यानी दो हजार रुपये की कर चोरी करने पर उसे एसजीएसटी और सीजीएसटी दोनों मिलाकर पेनाल्टी के चार हजार रुपये और मूल कर दो हजार जोड़कर सिर्फ 4200 रुपये ही भरना होंगे।
क्योंकि धारा 73 में न्यूनतम पेनाल्टी 10 हजार रुपये वसूलने का नियम लिख दिया है। इसलिए ऐसी स्थिति बन रही है कि ईमानदार छोटे व्यापारी को बड़ी सजा मिल रही है। टैक्स बार ने आयुक्तों को ज्ञापन भेजा है। मांग की गई है कि न्यूनतम 10 हजार पेनाल्टी की लाइन एक्ट से हटा दी जाए तो यह विसंगति दूर हो जाएगी। आने वाली जीएसटी ग्रीवांस एंड रिड्रेसल कमेटी की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया जाएगा। -अश्विन लखोटिया, सदस्य, राज्य जीएसटी ग्रीवांस एंड रिड्रेसल कमेटी