हमें बचपन से संस्कार दिए जाते हैं कि कभी घमंड नहीं करना चाहिए। ईर्ष्या और क्रोध भी नहीं करना चाहिए, लेकिन कई लोगों के पास जब पैसा और शक्ति आ जाती है तो वे कहीं न कहीं यह सोच लेते हैं कि उनके पास सब कुछ है और वे जो चाहें, कर सकते हैं। गुरुकुल की कहानी बदल गया राजकुमार में बड़ी अच्छी तरह से बताया गया है कि किस तरह राजा का बेटा समझ लेता है कि वही बलवान है और किसी की बात नहीं सुनता है। बाद में उसे भी जीवन में गुरु मिलते हैं और पता लगता है कि ज्ञान सबसे शक्तिशाली है।
हम भले ही खुद को कितना ही महान समझें, लेकिन हमें यह पता होना चाहिए कि हम जैसे कितने ही व्यक्ति हैं, जिन्हें हमसे भी ज्यादा ज्ञान है। वे कभी भी घमंड नहीं करते हैं। बच्चों की बात करें तो कई बार कुछ बच्चे समझ लेते हैं कि उन्हें हमेशा ही अच्छे अंक आते हैं और कोई भी उनसे ज्यादा अंक नहीं ला पाता है। ऐसे मामलों में भी जब परिणाम आते हैं तो पता लगता है कि दूसरे बच्चे बाजी मार गए। हम जब खुद को ज्ञान से पूर्ण मान लेते हैं तो कहीं न कहीं यह भूल जाते हैं कि हमारी कमियां क्या हैं? इसकी शिक्षा बच्चों को बचपन से देनी चाहिए। बच्चों को पुरानी कहानियां सुनानी चाहिए और बताना चाहिए कि उनके जीवन में किस तरह की चुनौतियां आ सकती हैं, लोगों से कैसे व्यवहार करना है। जीवन यदि कुछ उल्लेखनीय हासिल हो भी जाए तो भी सीखते रहना चाहिए।
स्कूल में शिक्षकों की भूमिका पढ़ाने के साथ ही बच्चों में संस्कार देने की होनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि हम अच्छे संस्कारों से बच्चों का भविष्य आगे के लिए भी बेहतर कर सकते हैं। भले ही बड़ी कंपनियों में लाखों रुपये की नौकरी मिल जाए या व्यापार से बहुत पैसा आ जाए लेकिन हमें अपने संस्कार कभी नहीं भूलने चाहिए। माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और उनका नाम रोशन करने के लिए सच्चाई के रास्ते पर चलते रहना चाहिए। ऐसे काम करने चाहिए जिससे परिवार और समाज का नाम हो। शिक्षकों को भी गर्व हो कि जिन बच्चों को उन्होंने पढ़ाया है, आज वे दूसरों का जीवन बेहतर करने में योगदान दे रहे हैं। रुपयों का उपयोग समाज की भलाई में भी करते रहना चाहिए।
हमें घमंड नहीं करना चाहिए और दूसरों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। खुद के सपनों के साथ ही माता-पिता के सपनों का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने जो हमारे लिए सपने देखे हैं, उन्हें पूरा करने के लिए भी लगातार कोशिश करनी चाहिए। माता-पिता अगर सभी साधन हमें उपलब्ध करा रहे हैं तो हमें इसका गलत उपयोग नहीं करना चाहिए। किसी के भी प्रति ईर्ष्या और क्रोध नहीं करना चाहिए। साधारण जीवन जीना चाहिए। अपने विचारों को बेहतर करने पर काम करते रहना चाहिए।
अगर किसी को परेशानी में हमारी मदद चाहिए तो उसका साथ देना चाहिए। जीवन को दिशा देने में हमारे आसपास के लोगों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमें ऐसे दोस्त बनाने चाहिए जो सच्चाई के रास्ते पर चलते हों और उनसे हमें अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं। गलत राय देने वाले लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। बच्चों को कोई भी विचार बनाने के पहले अपने माता-पिता से उस विषय के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए।
परिवार के बुजुर्गों से भी हम कई महत्वपूर्ण निणयों में राय ले सकते हैं। अतः बेहतर जीवन को बेहतर बनाना है तो हमें विनम्र रहना होगा। ईर्ष्या, क्रोध और घमंड को खुद से दूर रखना होगा। कई कहानियों के साथ ही हम जीवन में भी देख ही रहे हैं कि घमंड करने वालों को एक दिन इसकी सजा मिलती ही है।
- डॉ. मधुकर पवार, प्राचार्य
सिका स्कूल, स्कीम नंबर 54 विजय नगर
पवार कल फेसबुक पेज पर करेंगे लाइव चर्चा
सिका स्कूल स्कीम नंबर 54 विजय नगर के प्रिंसिपल डॉ. मधुकर पवार फेसबुक पेज /शघक्षेेिंन पर 16 सितंबर को सुबह 11 बजे लाइव होंगे और कहानी 'बदल गया राजकुमार' के विभिन्ना पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।