विनय यादव, इंदौर। इंदौर शहर में दोपहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट नहीं पहनने की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। हर माह शासकीय अस्पताल में करीब 700 दोपहिया वाहन चालक घायल होकर इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं, इनमें से कई चालकों को सिर में गंभीर चोट आई हैं। इनमें से अधिकांश युवा हैं, जो बाइक या स्कूटर चलाते वक्त हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
दुर्घटनाओं में सिर में गंभीर चोट लगने से लगभग 10 प्रतिशत मरीज कोमा में भी पहुंच जाते हैं। एमवाय अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में हर रोज 30 से 35 मरीज सिर की चोट के इलाज के लिए पहुंचते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर दुर्घटनाएं दोपहिया वाहनों से होती हैं। जिसकी सबसे बड़ी वजह हेलमेट का उपयोग नहीं करना है।
विशेषज्ञों ने बताया कि कई लोगों को यह लगता है कि शहर में वाहनों की गति धीमी है, इसलिए यहां हेलमेट का उपयोग नहीं होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। हमारे पास कई मरीज ऐसे आते हैं, जो धीमी गति में वाहन से गिर जाते हैं। लेकिन आसपास लगी लोहे के पोल, पत्थर के कारण उनके सिर में गंभीर चोट लग जाती है। अस्पताल में भर्ती मरीजों की स्थिति जो एक बार देख लेगा, वह कभी हेलमेट लगाना नहीं भूलेगा। सिर में गंभीर चोट लगने से मरीज के साथ ही पूरा परिवार परेशान हो जाता है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर देश में सड़क हादसों के मामले में दूसरे स्थान पर रहा है। सालभर में यहां 4680 सड़क हादसे दर्ज हुए, जबकि पहले स्थान पर दिल्ली और तीसरे पर जालंधर रहा है।
एमवाय अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में हेड इंजरी से जुड़ी हर वर्ष करीब तीन हजार सर्जरी की जा रही हैं। इनमें 900 से अधिक बड़े आपरेशन होते हैं। इंदौर ही नहीं, पूरे संभाग से मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। विभाग में आने वाले अधिकांश मरीज सड़क हादसों से जुड़े होते हैं।
न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. राकेश गुप्ता ने बताया कि हेलमेट नहीं पहनने से सिर में गंभीर चोट का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अगर समय रहते हेलमेट पहना जाए, तो जान बचाई जा सकती है। हम हर दिन ऐसे मामले देख रहे हैं, जहां सिर्फ हेलमेट न पहनने की वजह से व्यक्ति की जान खतरे में पड़ जाती है।
बता दें कि हेलमेट को लेकर इंदौर प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। बिना हेलमेट के अब पेट्रोल नहीं दिया जा रहा है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग नियमों को नजरअंदाज कर रहे हैं। दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने के लिए लोगों को स्वयं आगे आकर नियमों का पालन करना होगा।