अश्विन बक्शी, इंदौर। टीबी का इलाज शुरू कर इसे बीच में ही छोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। हर साल लगभग 7 हजार टीबी के नए मरीज जिले में मिल रहे हैं। इनमें सौ से डेढ़ सौ इलाज बीच में ही छोड़ने के कारण मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी का शिकार हो रहे हैं।
इस बात का खुलासा पिछले पांच सालों में डिफाल्टर मरीजों की जानकारी के बाद सामने आया है। पांच साल में 830 ऐसे मरीज चि-ति किए गए हैं जिनकी ड्रग रजिस्टेंट क्षमता खत्म हो चुकी है। इसने विभाग की चिंता को भी बढ़ा दिया है।
प्रदेश में साल 2017 में टीबी के 1 लाख 36 हजार नए मरीज मिले थे। इनमें लगभग 10 हजार मरीज मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी के मिल रहे हैं। टीबी की जानकारी होने पर उसका उपचार जरूरी है। पूरा उपचार ना होने के कारण मरीज ड्रग रजिस्टेंट हो जाते हैं।
इसलिए इन मरीजों की जान को अधिक खतरा रहता है। संभाग के अन्य जिलों में 15 से 20 फीसदी तक मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी के मरीज मिले हैं। एक मरीज एक साल में दस से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है।
इसे कहते हैं मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी
मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी फस्ट लाइन एंट्री टीबी ड्रग्स पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता है। यह तब विकसित होता है जब दवाई का सेवन बंद कर दिया जाता है, या गलत तरीके से दवा दी जाती है। मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी से ग्रस्त मरीज पर दवाओं का असर भी नहीं होता है।
सरकारी स्तर पर मिल रही सुविधाएं
सरकार टीबी को लेकर गंभीर है। इसलिए जांच और इलाज से लेकर दवाई तक सभी निशुल्क दी जा रही हैं। अस्पताल आने-जाने में परेशानी ना हो इसके लिए सरकार प्रति मरीज को 750 रुपए भी उपलब्ध करा रही है।
यहां तक कि मरीज की देखरेख व उसे हर रोज समय पर दवाई देने के लिए ट्रीटमेंट सपोर्टर भी रखे गए हैं। इन्हें 6 माह तक मरीज को नियमित दवाई देने पर एक हजार रुपए, 8 माह तक समय पर दवाई देने पर 15 सौ रुपए व ड्रग रजिस्टेंट वाले मरीज की दो साल तक नियमित देखरेख करने पर 5 हजार रुपए की राशि दी जाती है।
देश को टीबी मुक्त करने के प्रावधान कठोर किए
केंद्र सरकार ने देश से टीबी को मिटाने के लिए 2025 का लक्ष्य रखा है। समय पर सही जानकारी मिले इसके लिए गजट नोटिफिकेशन कर सजा का प्रावधान भी किया गया है। मरीज की जानकारी ना देने पर अब डॉक्टर या मेडिकल स्टोर संचालकों को छह माह तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
पांच साल में जिले से इतने मिले मरीज
वर्ष टीबी के मरीज एमडीआर
2012 4871 84
2013 5313 90
2014 5694 130
2015 6071 157
2016 6669 166
2017 7839 203
इस तरह पहचानें लक्षण
* बार-बार हांफना
* दो हफ्ते से अधिक हो रही खांसी
* शाम को रोज बुखार आना
* सीने में दर्द की शिकायत
* भूख ना लगना
* लगभग 10 फीसदी तक वजन घटना
समय पर इलाज कराने से हो जाती है ठीक
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक कीटाणु से होती है। यह ज्यादातर फेंफड़ों पर असर करती है। शरीर के अन्य किसी भाग में असर करती है तो उसे एक्स्ट्रा पल्मनेरी ट्यूबरक्यूलोसिस कहा जाता है। हवा के माध्यम से यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है। इसका समय पर इलाज कराने से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है।
इलाज अधूरा छोड़ना हो सकता है खतरनाक
टीबी का पता लगने व सही समय पर दवाई प्रारंभ करने से मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है। इसका इलाज बीच में छोड़ना घातक होता है। ऐसे मरीज मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी की श्रेणी में आ जाते हैं। सरकारी स्तर पर इन मरीजों को खोजकर उन्हें इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे उनके परिजन या संपर्क में आने वाले अन्य मरीजों को संक्रमण का खतरा ना रहे। - डॉ. विजय छजलानी, जिला क्षय अधिकारी इंदौर
देश को टीबी मुक्त बनाने का सरकार कर रही प्रावधान
प्रदेश सहित पूरे देश को टीबी मुक्त करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने 2030 का समय दिया है, लेकिन भारत सरकार इसे 2025 में ही पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास कर रही है। प्रदेश के सभी 51 जिलों में जीन एक्सपर्ट मशीनें लगाई गई हैं। इससे अब वहीं पर जांच व इलाज मिल सकेगा। इसे लेकर 26 मार्च को भोपाल में बैठक होगी, जिसमें सभी जिलों के अधिकारी व इस क्षेत्र में काम करने वाले संगठन शामिल होंगे। - डॉ. अतुल खराटे, राज्य क्षय अधिकारी भोपाल
फैक्ट्स एंड फिगर्स
* विश्व में मिलने वाले 4 में से 1 मरीज भारत में
* देश में 1 करोड़ लोगों की हर साल होती है जांच
* देश में हर साल मिल रहे 25 लाख नए मरीज
* 4 लाख मरीजों की हर साल हो रही मौत
* प्रदेश में 2017 में 1 लाख 36 हजार मरीज मिले
* सबसे अधिक 7839 मरीज इंदौर जिले से
* 95 फीसदी मरीज समय पर इलाज से हो रहे स्वस्थ
12 स्थानों पर मिले सबसे अधिक मरीज
जिला क्षय नियंत्रण विभाग ने इंदौर जिले में 12 टीबी के डेंजर जोन बनाए हैं। अभी तक मिले मरीजों में से सबसे अधिक इन्हीं क्षेत्रों से हैं। इसलिए यहां पर विशेष अभियान चलाकर घर के प्रत्येक सदस्य की जांच की जा रही है। इसमें कालानी नगर, चंदन नगर, बाणगंगा, आजाद नगर, मूसाखेड़ी, खजराना, मालवा मिल, परदेशीपुरा, निरंजनपुर, जूना रिसाला, भूरी टेकरी व छावनी क्षेत्र को शामिल किया गया है।
लगातार बढ़ रहे मरीज
जैसे-जैसे टीबी नियंत्रण अभियान का दायरा बढ़ाया जा रहा है वैसे-वैसे मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। इससे सही समय पर इलाज मिलने के कारण इनकी जान बचाने में भी मदद मिल रही है। 2012 में जिले में कुल 4871 मरीज चि-ति किए गए थे, जो अब बढ़कर 7839 हो चुके हैं। हर साल पांच सौ से छह सौ मरीज बढ़ रहे हैं।