विनय यादव, नईदुनिया, इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देने का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत यह है कि कई स्कूलों में उन विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है, जिनकी वहां उपयोगिता ही नहीं है।
इंदौर के शासकीय उर्दू स्कूलों में हिंदी माध्यम और संस्कृत के शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है, जबकि यहां गणित, सामाजिक विज्ञान सहित सभी विषय उर्दू भाषा में ही पढ़ाए जाते हैं। शिक्षक अपने रसूख का उपयोग करते हुए इन स्कूलों में पदस्थापना ले लेते हैं।
ये शिक्षक दो-तीन वर्षों से इन स्कूलों में पदस्थ हैं। यहां सिर्फ उपस्थिति लगाते हैं और दिनभर आराम फरमाकर घर चले जाते हैं। इंदौर के बक्षीबाग, खजराना, जूना रिसाला आदि क्षेत्रों के शासकीय उर्दू स्कूलों में न शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा पा रहे हैं और न विद्यार्थी पढ़ाई कर पा रहे हैं।
उर्दू कन्या उमावि बक्षीबाग में कुल 18 शिक्षकों की नियुक्ति है, लेकिन इनमें से सिर्फ चार शिक्षक ही उर्दू माध्यम से हैं। बाकी सभी हिंदी और संस्कृत माध्यम के हैं। इनके द्वारा पढ़ाने का प्रयास भी किया जाता है, लेकिन विद्यार्थियों को कुछ समझ नहीं आता है, क्योंकि किताबें तो उर्दू भाषा में हैं।
खजराना स्थित शासकीय उर्दू माध्यमिक विद्यालय, ताजनगर के हेड मास्टर ने 21 जून को ही संकुल प्रभारी को पत्र लिखा है। इसमें बताया कि उर्दू स्कूल में अंतर जिला स्थानांतरण होकर हिंदी माध्यम की शिक्षक छाया तिवारी आ गई हैं, जो उर्दू स्कूल में पढ़ाने में असमर्थ हैं। हिंदी माध्यम के शिक्षक के उर्दू स्कूल में आने से विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है। सीमा सनोरिया का भी स्थानांतरण उर्दू स्कूल में कर दिया गया है।
इंदौर के विजय नगर, बाणगंगा आदि क्षेत्र में कई ऐसे शासकीय स्कूल हैं, जहां शिक्षकों की कमी है। बावजूद इसके उर्दू स्कूलों में आराम कर रहे शिक्षकों को पढ़ाने के लिए यहां नहीं भेजा जा रहा है।
उर्दू स्कूलों में हिंदी और संस्कृत माध्यम के शिक्षकों के स्थानांतरण के संबंध में पालक संघ ने कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को कई बार शिकायत की है। विद्यार्थी भी अपने स्तर पर स्कूलों के प्राचार्य समस्या बता चुके हैं। फिर भी निराकरण नहीं हुआ है। विद्यार्थियों ने बताया कि उर्दू स्कूलों में गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान ऐसे विषय भी उर्दू में पढ़ाए जाते हैं। इस कारण हिंदी भाषा के शिक्षक नहीं पढ़ा पा रहे हैं।
मेरे संज्ञान में यह नहीं है कि उर्दू स्कूलों में हिंदी और संस्कृत भाषा के शिक्षक स्थानांतरित हैं। यदि विद्यार्थियों के कोर्स में विषय नहीं हैं और शिक्षक वहां हैं। यह किस प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ है, इसे मैं दिखवाता हूं। - विजय मंडलोई, जिला शिक्षा अधिकारी, इंदौर