इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Cyber Crime Indore। बढ़ते ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और शॉपिंग के जरिये अब साइबर क्राइम में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसी के जरिये लगातार डेटा लीक हो रहा है, यहीं से ठगों तक जानकारी व नंबर पहुंचता है और नासमझी के कारण लोग आनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं।
यह बात हैलो नईदुनिया के कार्यक्रम में मंगलवार को राज्य साइबर सेल डीएसपी सृष्टि भार्गव ने कहीं। उन्होंने आनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित समस्याएं फोन पर सुनी और उनका समाधान भी बताया। साथ ही लोगों को सुझाव देते हुए ठगी से बचने के उपाय भी बताए। एक पाठक अनिल अग्रवाल ने सवाल किया कि देश भर में आनलाइन धोखाधड़ी हो रही है, लेकिन ठगों के पास उनके नंबर व डेटा कैसे पहुंचता है। ठगों को पकड़ने के लिए भी साइबर पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ती है। कई मामले एेसे हैं, जिनका अब तक निराकरण ही नहीं हुआ।
जवाब में डीएसपी भार्गव ने बताया कि साइबर सेल आनलाइन ठगों को पकड़ने के लिए रात दिन काम करती है, साथ ही एेसे नेटवर्क पर भी नजर रखती है जो अनआथोराइज्ड होता है। आइपी एड्रेस व अन्य जानकारी निकालने के बाद उनकी तलाश की जाती है और उन्हें गिरफ्तार किया जाता है। इस तरह के कई मामलों में साइबर सेल ने कई बड़े ग्रुपों को पकड़ा है और उन पर कार्रवाई हुई है। वहीं उन्होंने डेटा पहुंचने के जवाब में कहा कि लोगों द्वारा किए जाने वाले आनलाइन ट्रांजेक्शन व शापिंग के कारण लगातार डेटा लीक हो रहा है, यहीं से ठगों तक जानकारी व नंबर पहुंचता है और नासमझी के कारण लोग आनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं।
हैलो नईदुनिया में डीएसपी ने इनकी समस्याओं का फोन पर किया निराकरण
सवाल: 15 दिन पहले आनलाइन सीफर्मेस्ट वेबसाइट पर टीवी बुक की थी 70 हजार रुपये भी जमा करा दिए, अब तक नहीं आई, नंबर भी ब्लाक कर दिया? -संदीप नेगी, इंदौर
जवाब: सबसे पहले राज्य साइबर सेल को इसकी शिकायत करनी चाहिए थी। आपके साथ धोखाधड़ी हुई है। आनलाइन धोखाधड़ी करने वालों ने आफर देने के नाम पर रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए हैं। आप डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट साइबर डाट ओआरजी डाट इन की साइट पर जाकर भी शिकायत कर सकते हैं। इसमें जानकारी देनी होगी कि आपने किस नंबर पर रुपये भेजे हैं, किस माध्यम से भेेजे और कितने भेजे। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
सवाल: एटीएम से रुपये निकालते वक्त भी ठगी का डर रहता है, एेसे में क्या सावधानी बरतनी चाहिए? -कन्हैयालाल प्रजापत, उज्जैन
सवाल: आए दिन बैंक के अधिकारी बनकर फोन आते हैं और अकाउंट नंबर मांगते हैं? - हुकुमचंद कटारिया, इंदौर
सवाल: इंटरनेशनल कालिंग कैसे करते हैं और नकली अमेजन या फ्लिपकार्ड की पहचान क्या है? - रुपचंद नागर, इंदौर
जवाब: साइबर ठग सामान्य सर्च इंजन का उपयोग नहीं करते हैं। वे इसके लिए भी अनआथराइज्ड साइट का उपयोग कर, लोगों को कम्प्यूटर के माध्यम से इंटरनेशनल काल करते हैं, जिससे कि उन्हें आसानी से पकड़ा न जा सके। इसी तरह क्लोन एप बनाकर नकली अमेजन या फ्लिपकार्ड जैसी कामर्शियल वेबसाइट पर झूठे आफर दिखाकर लोगों को आकर्षित करते हैं और जब उन पर आनलाइन शापिंग की जाती है तो रुपये खाते या क्रेडिट कार्ड से कटते ही वेबसाइट दिखना बंद हो जाती है।
सवाल: आज के दौर में मजदूरों के पास भी डेबिट कार्ड होता है, सबसे ज्यादा उनके साथ ही ठगी होती है। शिकायत कहां करें? - सुभाष केपी श्रीवास्तव, इंदौर
सवाल: लोन दिलाने के नाम पर की ठगी, पांच साल पहले शिकायत की थी, अब तक निराकरण नहीं हुआ? - रंजीत सिंह, इंदौर
जवाब: आपके प्रकरण की जांच करवाई जाएगी। अब तक किस कारण से निराकरण नहीं हो सका और क्या कारण रहा, इसके बारे में साइबर सेल के दफ्तर से पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
आनलाइन धोखाधड़ी से बचने के सुझाव
आनलाइन धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे बचने के लिए सतर्क रहने बहुत जरूरी है। ज्यादातर मामलों में यह देखा गया है कि ठग रुपये भेजने के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल करते हैं, जबकि क्यूआर कोड स्कैन तब किया जाता है जब रुपये दूसरे के खाते में भेजने हों, खाते में रुपये बुलवाने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने की जरूरत नहीं होती। वहीं अनसर्टिफाइड कामर्शियल वेबसाइट पर आफर के लालच में आकर खरीदी न करें। सबसे अच्छा तरीका है कि डिलिवरी घर आने के बाद ही रुपये देने का विकल्प चुने। इससे खाते की जानकारी भी शेयर नहीं होगी और ठगी से भी बचा जा सकता है।