इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। केंद्र सरकार ने शुक्रवार शाम दलहन पर स्टाक लिमिट लागू करने का आदेश जारी कर दिया। देर शाम गजट नोटिफिकेशन के जरिए आदेेश को तुरंत लागू कर दिया गया है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत् अलग-अलग के कारोबारियों पर अलग-अलग स्टाक सीमा लागू की गई है। स्टाक सीमा का बंधन ताजा आदेश के अनुसार 31 अक्टूबर तक लागू रहेगा। केंद्र के आदेश के खिलाफ शनिवार को छावनी किसानी मंडी में व्यापारियों ने दलहन की खरीदी रोक दी। आदेश को मनमाना और कानून के उलट बताते हुए कारोबारी इसका विरोध कर रहे हैं। मंडी में बड़ी तादाद में काबली (डालर) चना बेचने किसान पहुंंचे थे लेकिन किसानों को लौटना पड़ा। आदेश के खिलाफ कारोबारी कोर्ट जाने पर विचार कर रहे हैं।
मंडी में व्यापारियों और मिलर्स द्वारा खरीदी बंद किए जाने का असर डालर चने के दामों पर पड़ा। डालर चने के दाम 500 रुपये प्रति क्विंटल तक घटाकर बोले जाने लगे। व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार के आदेश से संशय और घबराहट की स्थिति पैदा हो गई है। सीधे तौर पर व्यापारियों और मिल संचालकों का नुकसान होता दिख रहा है। मिल संचालकों और व्यापारियों ने आरोप लगाया कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ देने के लिए अचानक ये आदेश लागू किया गया है। थोक में शुक्रवार तक उड़द मोगर को छोड़ सभी दालें 100 रुपये किलो से नीचे के दाम पर है। ऐसे में स्टाक लिमिट का औचित्य ही नहीं है।
कारोबारी कमल अग्रवाल के अनुसार सरकार ने महीनेभर पहले ही दलहन के आयात को मुक्त श्रेणी में रखा था। इससे आयात बढ़ने लगा है। इसके बाद स्टाक लिमिट लगाना कहीं से भी तर्कपूर्ण नहीं है। छावनी किसानी मंडी संघ के अध्यक्ष मनोज काला के अनुसार डालर चने को लेकर भ्रम पैदा हो गया है। स्पष्ट नहीं है कि डालर चने को दलहन श्रेणी में रखा है या नहीं। दूसरी ओर छोटे व्यापारी के लिए सिर्फ पांच मीट्रिक टन की सीमा निर्धारित है। इतने कम माल पर व्यापार ही संभव नहीं है। यह इंस्पेक्टर राज की वापसी है। दूसरी ओर नए कृषि कानून में स्टाक सीमा खत्म की गई है ऐसे में ये आदेश तो नए कानून के भी उलट है। दाल मिल संचालक जयेश जैन के अनुसार आदेश से स्टाकिस्टों और मिल संचालक परेशान है। बाजार में ग्राहकी नहीं है। लोगों के पास पैसा नहीं है। लिमिट के पालन के चक्कर में क्या कारोबारी अपना माल औने-पौने दाम पर निकालेगा। इससे व्यापारियों का तो नुकसान होगा ही किसानों को भी उचित दाम नहीं मिलेंगे। हैरानी की बात है कि मूंग को स्टाक लिमिट में नहीं रखा गया। समझ नहीं आता कि ऐसा क्या सोच कर किया गया है। कुछ अफसर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कहने पर मनमाने निर्णय हो रहे हैं।
ये है आदेश
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत् दलहनों पर स्टाक 31 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी। मूंग को छोड़ अन्य दलहनों पर स्टाक लिमिट लगाई गई है। थोक विक्रेता अधिकतम 200 मीट्रिक टन (किसी भी एक दाल/दलहन का अधिकतम 100 मीट्रिक टन) का स्टाक कर सकेंगे। रिटेलर अधिकतम पांच मीट्रिक टन स्टाक रख सकेंगे। मिलर्स पिछले तीन महीनों के उत्पादन के बराबर या मिलिंग क्षमता का 25 प्रतिशत रख सकेंगे। आयातक के 15 मई के बाद वाले माल पर थोक विक्रेता वाली सीमा लागू होगी। कस्टम क्लीयरेंस के 45 दिनों के बाद आयातित माल पर भी थोक विक्रेता वाली सीमा लागू होगी। जिस किसी के पास इस सीमा से अधिक स्टाक है उसे fcainfoweb.nic.in पर 30 दिनों में बताना होगा। उपभोक्ता मंत्रालय को स्टाक की जानकारी नियमित रूप से देना होगी।