
इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। लोग यह प्रश्न पूछते हैं कि हमें मानव जीवन क्यों मिला है। व्यक्ति को मानव जीवन दो कारणों से मिलता है। पहला पूर्व जन्म के कर्मों के फल भोगने और दूसरा प्रभु भक्ति और भजन करने के लिए। यह बात जानने में कई बार मनुष्य का पूरा जीवन निकल जाता है। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में भगवान शिव ही तुम्हारे साथ रहेंगे। भगवान शिव को जल चढ़ाना, लेकिन जल चढ़ाते समय मन में छल-कपट मत रखना।
यह बात कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने गुरुवार को दलालबाग में कही। वे सात दिनी शिव महापुराण कथा के पहले दिन मौजूद हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि निर्मल मन से, निर्मल ह्रदय से शिवजी को जल चढ़ाएं। शिव महापुराण कथा से माता-बहनों में यह भाव आ गया है कि अपन शंकरजी के हैं और शंकरजी अपने हैं। इंदौर के लोग भजन और भक्ति में डूब जाते हैं। यह हमारे और आपके पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों का फल है कि कथा श्रवण का अवसर प्राप्त हो रहा है। हमें जीवन में जो कुछ मिला है वह हमारे कर्मों से मिला है और आगे भी जो कुछ मिलेगा वह अपने कर्मों से ही मिलेगा।
उन्होंने कहा पूजन की वस्तुएं विसर्जित करने के लिए जरूरी नहीं है कि नदी में ही डाली जाएं। कहीं भी एक गड्डा करके उसमें भी यह वस्तुएं डाली जा सकती हैं। यदि हर वस्तु को हम पवित्र नदी में ही ले जाकर विसर्जित करेंगे तो नदियां अपवित्र हो जाएंगी।
धनपति और ऊंचे पद पर पहुंचे व्यक्ति की रोटी और हंसी कम हो जाती है
पं. मिश्रा ने कहा कि जो व्यक्ति बड़ा हो जाता है, धनपति बन जाता है, ऊंचे पद पर पहुंच जाता है तो उसकी रोटी और हंसी दोनों कम हो जाती है। वह व्यक्ति भोजन में कम ही रोटी खाता है और सामान्य रूप से बैठकर हंसी मजाक करने में उसे अपने पद-प्रतिष्ठा की हानि महसूस होती है। जब आप बड़े पद पर पहुंचकर भगवान के मंदिर में सेवा करते हो तो हजारों लोगों को प्रेरणा देते हो। जिस तरह से घर के माता-पिता की सेवा का काम घर की लक्ष्मी का है, उसी तरह से पूजा की थाली लगाने का काम भी घर की लक्ष्मी का है।
भजन और भोजन का सुख इंदौर की धरा पर
पं. मिश्रा ने कहा कि दुनिया में भोजन और भजन का सुख इंदौर की धरा पर है। यहां के लोगों को खिलाने का भी खूब शौक है। इंदौर के मंदिरों में महिलाओं के द्वारा बनाए गए महिला मंडल के द्वारा किए जाने वाले भजनों की बात ही अलग है। भजन करती महिलाएं भजन में लीन हो जाती हैं। इस कदर भजन में डूब जाती हैं कि उन्हें बाकी दुनिया का कोई भान हीं नहीं रहता है।