
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर आपत्तिजनक बयान देने वाले अजाक्स के प्रदेश अध्यक्ष आईएएस संतोष वर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है। उनके खिलाफ इंदौर में दो केस चल रहे हैं। एक केस में वर्मा जालसाजी में जेल की हवा भी खा चुके हैं।
एसीपी विनोद दीक्षित के मुताबिक, वर्ष 2016 में एलआईसी एजेंट महिला ने वर्मा के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई थी। आरोप था कि वर्मा ने पॉलिसी लेने के बहाने करीबी बढ़ाई और शारीरिक शोषण किया। विवाद होने पर पीड़िता लसूड़िया थाने पहुंची थी। इस मामले में चालान पेश हो चुका है और प्रकरण न्यायालय में लंबित है।
साल 2021 में प्रमोशन पाने के लिए वर्मा ने 2016 वाले केस में खुद को बरी किए जाने वाला फर्जी आदेश पेश किया। डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) के समक्ष पेश आदेश पर स्पेशल जज विजेंद्र रावत के फर्जी हस्ताक्षर थे। पोल खुली तो एमजी रोड पुलिस ने उसी साल जुलाई में गिरफ्तार किया था।
तीन महीने जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली। एसीपी विनोद दीक्षित के मुताबिक, वर्मा के खिलाफ जिला कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। चालान प्रस्तुत हो चुका है। चार साल बाद भी कोर्ट में उसके विरुद्ध चार्ज नहीं लगाया गया है।
अजाक्स का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को पुलिस कमिश्नर भोपाल से मिला और समाज का वातावरण दूषित कर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के विरुद्ध अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की मांग की। प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि आईएएस अधिकारी व अजाक्स के प्रांताध्यक्ष संतोष वर्मा के उद्बोधन को कुछ आसामाजिक तत्व आनावश्यक तूल देकर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रहे है जो अत्यंत निंदनीय है।
उन्होंने सामाजिक सौहार्द और परस्पर एकता को किसी भी तरह का खतरा ना हो, इस दृष्टि से अपनी स्थिति साफ करते हुए खेद भी जता दिया है, जिससे मामला का पटाक्षेप हो जाता है। वहीं, अजाक्स के प्रांतीय महासचिव एसएल सूर्यवंशी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से भेंटकर प्रांत अध्यक्ष वर्मा के बयान को लेकर किया जा रहे प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने तथा सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के लिए ज्ञापन दिया।