इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मधुमेह और उच्च रक्तचाप संबंधी रोग को चिकित्सक साइलेंट किलर कहते हैं। ये ऐसे रोग हैं, जिनका आमतौर पर लोगों को शुरुआती दौर में पता ही नहीं चलता है। कई बार इन रोगों की जानकारी मिलने के बाद भी लोग उपचार और परहेज में लापरवाही करते हैं। इन रोगों की अनदेखी भी भविष्य में हृदयाघात, किडनी और नेत्र रोग संबंधी गंभीर रोगों के रूप में आ सकती है। इन रोगों की पहचान के लिए साल में एक बार मधुमेह और रक्तचाप की जांच अवश्य करवाना चाहिए। जैसे ही इन रोगों पता चले, उसका तुरंत इलाज शुरू करना चाहिए। इनके नियंत्रण से लोग हृदय रोग सहित अन्य गंभीर रोगों की समस्या से बच सकते हैं।
हृदयाघात वाले रोगियों में 50 प्रतिशत से अधिक को मधुमेह और रक्तचाप - चिकित्सकों के अनुसार जिन रोगियों को हृदयाघात होता है, उनमें 50 प्रतिशत से अधिक रोगी ऐसे होते हैं, जिन्हें पहले मधुमेह और रक्तचाप होता है। मधुमेह और रक्तचाप के शुरुआत में लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन जब परेशानी बढ़ती है, तभी उनके लक्षण नजर आते हैं। जिन रोगियों का दवा लेने के बाद मधुमेह का स्तर नियंत्रित होता है, उन्हें महीने में एक बार अपने मधुमेह की जांच करवानी चाहिए। जिनका शर्करा का स्तर अधिक अनियंत्रित रहता है, उन्हें सप्ताह में एक बार मधुमेह की जांच करवानी चाहिए।
25 साल के युवाओं में भी दिखाई दे रहे लक्षण - वरिष्ठ चिकित्सक डा. प्रवीण डाणी के अनुसार बच्चों व युवाओं में मधुमेह व रक्तचाप की समस्या बढ़ी है। 25 साल के युवाओं में भी यह रोग देखने को मिल रहे हैं। युवा रात दो बजे तक जागते हैं और सुबह 9 बजे उठते हैं। इस कारण वे व्यायाम नहीं करते हैं। नौकरी करने वाले युवा पूरा दिन कंप्यूटर के समाने बिता रहे हैं। इससे लोगों में तनाव बढ़ता है। इसके अलावा युवाओं में फास्ट फूड और अल्कोहल के सेवन की प्रवृत्ति बढ़ी है। खाने-पीने का समय भी निश्चित नहीं होने के कारण युवाओं में ये रोग बढ़े हैं। कई लोग दिन में चार से पांच बार चाय या काफी का सेवन करते हैं। इनमें कैफीन की मात्रा के साथ मधुमेह भी शरीर को अधिक मिलता है जो नुकसानदायक है। यदि जरूरी हो तो बिना शक्कर की चाय या काफी पिएं। दिन में दो कप से अधिक चाय-काफी का सेवन नहीं करें। इसके स्थान पर ब्लैक टी या ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए। किडनी की बीमारी का सबसे सामान्य कारण मधुमेह है। लोगों के भ्रांति है कि मधुमेह की दवाओं से किडनी की समस्या होती है। यह सही नहीं है। मधुमेह के रोगी यदि व्यायाम करते हैं तो बिना इंसुलिन के उनके शरीर में शर्करा का उपयोग हो सकता है। व्यायाम करने से रोगी का शर्करा का स्तर कम होता है। व्यायाम करने से वजन भी कम होता है। व्यायाम करने से धमनियों और हृदय में रक्त का प्रवाह बेहतर बना रहता है। इससे रक्तचाप की समस्या नहीं होती है।
लकवा और हृदयाघात जैसे गंभीर रोग होने का खतरा - एजीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. वीपी पांडे के अनुसार मधुमेह व रक्तचाप दोनों ऐसे रोग हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से किसी भी रोगी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इनसे होने वाले नुकसान अप्रत्यक्ष रहते हैं। इस कारण इन्हें साइलेंट किलर भी कहा जाता है। रक्तचाप की बीमारी अनियंत्रित रहने पर सीधे पक्षाघात अर्थात लकवा या फिर हृदय रोग की बीमारी सामने आती है। मधुमेह लंबे समय तक अनियंत्रित रहने पर सीधे आंखों का अंधापन या किडनी संबंधित बीमारी या दर्दरहित हृदयाघात से होता है। रोगियों में कभी-कभी नसों का सुन्नापन एक मात्रा से अधिक होना एवं गैंगरीन जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। इनसे बचाव के लिए 25 वर्ष की आयु के बाद प्रतिवर्ष रक्तचाप व मधुमेह की जांच करवाते हैं। यदि परिवार में किसी को रक्तचाप व मधुमेह पहले से है, उन्हें हर छह माह में जांच करवाकर निदान करना चाहिए जिससे वे गंभीर रोगों के प्रभाव से बच सकें।
मधुमेह और रक्तचाप की अनदेखी इन रोगों को देगी दावत -
मधुमेह और उच्च रक्तचाप के कारण -
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