
इंदौर। कार्यस्थल के तनाव से कर्मचारियों के जीवन संतुलन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पुलिसकर्मी जैसे अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के लिए स्थिति और भी खराब है, क्योंकि उन्हें अपने कार्य के दौरान अनिश्चित और गतिशील परिस्थिति में भी सतर्क और प्रभावी रहना पड़ता है। उन्हें अत्यधिक तनावपूर्ण स्थितियों के दौरान भी क्रियाशील रहना होता है। यह कहना है भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) इंदौर के सरकारी मामलों के प्रबंधक नवीन कृष्ण राय का।
मध्य प्रदेश पुलिस अकादमी भोपाल में सेल्फ मैनजमेंट, वेल-बीइंग और हैप्पीनेस विषय पर गुरुवार को सत्र आयोजित किया गया। इसमें उपनिरीक्षक, हेड-कांस्टेबल और कांस्टेबल शामिल थे। यह सत्र उनके प्रारंभिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का एक हिस्सा था। नवीन कृष्ण राय ने प्रतिभागियों को सेल्फ मैनजमेंट और जीवन में खुश रहने के लिए जरूरी बातों को प्रबंधन और मनोविज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों के माध्यम से समझाया।

नवीन राय ने प्रतिभागियों को सेल्फ मैनजमेंट और जीवन में खुशहाल रहने के लिए जरूरी बातों को प्रबंधन और मनोविज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों के माध्यम से समझाया। उन्होंने सेलिगमैन के परमा माडल आफ हैप्पीनेस एंड वेल-बीइंग पर भी चर्चा की जो व्यक्ति के जीवन के पांच घटकों यानी पाजिटिव इमोशन, रिश्ते, व्यक्ति के जीवन का अर्थ और उसकी उपलब्धियों के बारे में बात करता है। इस माडल के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में खुशहाली के लिए मुख्यतः पांच घटक हो सकते हैं जैसे कि उसके स्वयं के पाजिटिव इमोशन, किसी भी कार्य में लगन के साथ जुड़ना, अपने आस-पास के लोगों के साथ जुड़ाव व सबद्धता रखना, जीवन जीने के लिए कोई सकारात्मक और प्रेरक कारण होना और जीवन में कुछ उपलबद्धियां प्राप्त करना।
सक्रिय रूप से काम करने से व्यक्ति की खुशियों में वृद्धि हो सकती है और साथ ही उसके मनोवैज्ञानिक संकट भी कम हो सकता है। उन्होंने बताया कि एक समय पर एक से ज्यादा घटक भी सक्रिय हो सकते हैं और जितने ज़्यादा घटक सक्रिय होंगे व्यक्ति उतना ही ज्यादा खुशहाल महसूस करेगा। उन्होंने प्रतिभागियों को इन घटकों पर काम करने के लिए विभिन्न तकनीकों से भी अवगत कराया ताकि वे और अधिक खुशहाली की ओर अग्रसर हो सकें। नवीन राय इस बात पर जोर देते हैं कि सेल्फ मैनज्मेंट और हैपीनेस के विभिन्न पहलुओं और स्रोतों के बारे में जागरूकता कामकाजी व्यक्तियों की समग्र उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।