नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर में यशवंत सागर और सिरपुर तालाब को रामसर साइट घोषित किया गया है। देशभर में मौजूद ऐसी रामसर साइट और वेटलैंड के रूप में शामिल जलाशयों के प्रदूषण और स्वास्थ्य की निगरानी अब सेटेलाइट से प्राप्त डेटा के आधार पर संभव होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंदौर (आईआईटी) के शोधार्थियों ने ‘वाटर क्वालिटी मानिटरिंग इंटरफेस’ नामक एप विकसित किया है, जो वास्तविक समय में वेटलैंड की सेहत की निगरानी कर सकता है। इससे वेटलैंड को प्रदूषण और अन्य खतरों से बचाने में मदद मिलेगी। यह एप सेंटिनल-2 उपग्रह डेटा का उपयोग कर रियल टाइम डेटा के आधार पर इस समस्या का समाधान कर सकता है।
वाटर क्वालिटी मानिटरिंग इंटरफेस सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनीष कुमार गोयल और उनके छात्र विजय जैन ने तैयार किया है। यह सेटेलाइट की तस्वीरों और क्लाउड कंप्यूटिंग की मदद से पानी की गुणवत्ता पर नजर रखता है। इसके माध्यम से यह पोषक तत्वों की अधिकता (यूट्रोफिकेशन) और मैलापन (टर्बिडिटी) जैसी समस्याओं की पहचान उनके गंभीर होने से पहले ही कर लेता है। यूट्रोफिकेशन की अत्यधिक वृद्धि से पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे मछलियों और अन्य जीवों की मृत्यु होने की आशंका रहती है। वहीं, टर्बिडिटी के कारण पानी गंदला या धुंधला दिखाई देता है।
- एनडीसीआई (क्लोरोफिल मात्रा, सुपोषण)
- एनडीटीआई (मैलापन का स्तर)
- एनडीडब्ल्यूआई (मीठे पानी की उपलब्धता)
- एनडीएमआई (जलीय वनस्पति में नमी)
हमारा उपकरण वास्तविक समय का डेटा प्रदान करता है जिसका उपयोग उभरते खतरों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में किया जा सकता है। भविष्य में इस एप को और बेहतर बनाने की योजना है, जिसमें जल गुणवत्ता के और भी मापदंड शामिल किए जाएंगे और प्रदूषण की घटनाओं पर तुरंत अलर्ट देना संभव होगा। - प्रो. मनीष कुमार गोयल, सिविल इंजीनियरिंग विभाग
यह नवाचार सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने की आईआईटी इंदौर की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और स्थिरता के संयोजन से, यह उपकरण अधिकारियों और समुदायों को हमारे महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने के लिए सशक्त बनाता है। - प्रो. सुहास जोशी, निदेशक, आईआईटी इंदौर