
IIT Indore: गजेंद्र विश्वकर्मा, इंदौर (नईदुनिया)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) जैसे दिग्गज संस्थानों को बनाते समय हमारे नीति- निर्माताओं ने यही सपना देखा था कि ये देश को गढ़ने में अपना योगदान देंगे। इंदौर आइआइटी इन दिनों उसी दिशा में बढ़ चला है। यह दिग्गज प्रौद्योगिकी संस्थान न केवल शिक्षा और शोध के कार्य में अग्रसर है, बल्कि अब ग्रामीणों के जन-जीवन को भी बेहतर बनाने में योगदान दे रहा है।
आइआइटी वर्ष 2016 में इंदौर के सिमरोल स्थित 500 एकड़ के परिसर में स्थाई रूप से स्थापित हुआ था। उसके बाद से इस संस्थान ने आसपास के कई गांवों में स्थितियों को बेहतर बनाया है। शुरुआत में कुछ ग्रामीणों ने परिसर बनने से उनके आने-जाने के रास्ते बंद होने से विरोध किया था, लेकिन अब यह स्थिति है कि ग्रामीण बहुत खुश हैं। संस्थान के स्थापित होने के बाद सिमरोल ग्राम की तो आर्थिकी ही बदल गई है। आसपास के गांवों में प्राइमरी स्कूलों की स्थिति आइआइटी ने बेहतर कर दी है। इससे यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ गई है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी समय-समय पर शिविर लगाने और जागरूकता अभियान चलाने से बीमारियों से भी बचाव हो रहा है।
गढ़ रहे बच्चों का भविष्य...बुजुर्गों को दे रहे सहारा
आइआइटी इंदौर के विद्यार्थियों की टीम प्रति सप्ताह किसी एक गांव में जाती है ओर वहां बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी मदद करती है। भविष्य के प्रौद्योगिकी के मास्टर स्टूडेंट हर शनिवार बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी और गणित विषय पढ़ा रहे हैं। टीम के सदस्य जहां बच्चों को शिक्षित कर देश का भविष्य गढ़ रहे हैं, वहीं ओल्ड एज होम जाकर ये बुजुर्गों की सेवा भी कर रहे हैं। उनके साथ परिवार के सदस्यों की तरह त्योहार भी मनाते हैं। बच्चों के ट्रेनिंग शिविर में बच्चों को स्किल्स डेवलप करने में भी मदद कर रहे हैं। इसके लिए हर शनिवार बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है। इसमें सभी विद्यार्थियों को डांस, स्किट, वाद-विवाद जैसे हुनर सिखाए जा रहे हैं।
केंद्रीय विद्यालय की स्थापना भी करवाई - आइआइटी ने अपने प्रयासों से परिसर में केंद्रीय विद्यालय की भी स्थापना करवाई है। इसका लाभ आसपास के गांवों के बच्चों को मिल रहा है। आइआइटी की स्थापना से जमीन के भाव बढ़े हैं तो किसानों को भी जबरदस्त लाभ हुआ है। इस तरह यह संस्थान समग्रता में समाज के लिए लाभप्रद साबित हो रहा है।
पारंपरिक चूल्हों को बदल रहे आधुनिक चूल्हों में
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सरोकारों में पर्यावरण की बेहतरी भी है। अपने परिसर के साथ ही आसपास के गांवों को वायु प्रदूषण से मुक्त करने में आइआइटी योगदान दे रहा है। कचरे के निष्पादन से लेकर खेती में नुकसान को कम करने के लिए भी सलाह दी जा रही है। संस्थान के विद्यार्थी ग्राम नयागांव के परिवारों को अपने पारंपरिक चूल्हे को आधुनिक चूल्हे से बदलने में मदद कर रहे हैं। इससे कम धुआं निकल रहा है और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल रही है। खाना पकाने वाले पारंपरिक चूल्हों से निकलने वाला धुआं हवा की गुणवत्ता को खराब करता है और लोगों, विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इससे खाना पकाने में काफी समय भी लगता है और लकड़ी पाने के लिए जंगल भी काटे जाते हैं।
बेहतर समाज का निर्माण हो - आइआइटी इंदौर के सूचना अधिकारी सुनील कुमार का कहना है कि आइआइटी का मकसद शिक्षा के साथ ही बेहतर समाज के लिए भी प्रयास करना है। इसी के तहत गांवों में जाकर शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सेवाएं ग्रामीणों को उपलब्ध कराई जा रही है। हमारे डाक्टर भी ग्रामीणों का उपचार करते हैं।