
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। शहर के धार्मिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक बन चुकी रणजीत अष्टमी की प्रभातफेरी शुक्रवार को एक बार फिर उल्लास से निकली गई। इस आस्था के संगम में जिधर-नजर घूमाओं उधर बाबा के भक्त नजर आ रहे थे। बड़े-बुजुर्ग के साथ युवा, बच्चे, महिला और युवतियां का उत्साह देखते ही बन रहा था। इसमें सनातन संस्कृति की गौरवान्वित करने वाली गाथा कहती झांकियां और संकट हरने वाले राम भक्त हनुमान के कई स्वरूप नजर आए।
वाहन और मंच पर बाहुबलि हनुमान, दास हनुमान, बाल हनुमान पंचमुखी हनुमान नजर आए। मां अजनी की गोद में बाल हनुमान और राम दरबार को देखकर भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। इस वर्ष किए जा रहे नवाचार में दो नवीन विषयों पर बनी झांकियों भी खासा आकर्षण का केंद्र बनी। माता अंजनी की गोद में बाल स्वरूप में हनुमान के साथ ही एक अन्य झांकी में राम राज्य की कल्पना को दर्शाया गया था। रणजीत बाबा के रथ को 500 सदस्य पारंपरिक वेशभूषा में खींच रहे थे। प्रभातफेरी निकलने से पहले उसकी तैयारी रात भर की गई।
निर्धारित क्रम के अनुसार रथ, बग्घी, झांकियां एवं अन्य आकर्षणों को निर्धारित स्थान पर रखा गया था। प्रभातफेरी में की गई आकर्षक आतिशबाजी भी आकर्षण का केंद्र बनी। इन दृश्यों को मोबाइल में कैद करने के लिए युवक-युवतिओं में होड़ मची थी। दिनभर सोशल मीडिया पर जय रणजीत के स्लोगन के साथ अपनी प्रभातफेरी की तस्वीरें लगाई थी। प्रभातफेरी मंदिर परिसर महूनाका, अन्नपूर्णा रोड, नरेंद्र तिवारी मार्ग होते मंदिर परिसर में पहुंची।
मार्ग में करीब 100 मंचों से खाद्य सामग्री बांटी जा रही थी। इसमें पोहे-जलेबी के साथ साबुदान, शीतल पेय, संतरा, सेवफल जैसे कई सामग्री वितरित की जा रही थी। आलूबड़े, समोसे, कचोरी के हाल ये थे कि कितनी खाये, कितनी घर ले जाये। यहां तक की मूंग का हलवा, मठरी, पपड़ी, नुक्ती, बिस्किट आदि आदि। ऐसा कौन सा इंदौर स्वाद था, जो बाबा के भक्तों को परोसा नहीं गया। इस दौरान अलग-अलग तरीके से यात्रा का स्वागत किया जा रहा था। तोपों से फूल उड़ाए जा रहे थे। इसमें कई युवा पुष्प तो कई लोग देवी-देवता के वेषभूषा में थे। यात्रा के बाद सवा लाख अभिमंत्रित रक्षा सूत्र का वितरण भी शुरू हुआ।
प्रभातफेरी में पिछले 15 साल से शामिल हो रहे विनय शर्मा के साथ उनके बैंगलौर रहने वाले मित्र संदीप मौर्य भी आए। उनका कहना था कि हर बार अपने दोस्त प्रभातफेरी के किस्से सुनता रहा हूं। इसके चलते मैंने भी आने का निर्णय लिया, जब विनय ने छुट्टी ली तो मैं भी उसके साथ आया। सुबह ठंड में इतने लोगों का यह अनुशासित उत्साह देखते ही बन रहा था।
पहली बार पुलिस प्रशासन के बैंड ने बाबा रणजीत हनुमान को सलामी दी। उज्जैन की महाकाल शोभायात्राओं से प्रेरित यह परंपरा इंदौर में धार्मिक आयोजनों को नए सम्मान और गौरव के स्तर पर स्थापित करती है। पुलिस बैंड द्वारा रामधुन की प्रस्तुति दी गई। सांसद सेवा संकल्प की ओर से लगाया गया स्वागत मंच पर अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की कलाकृतियों से सजाया गया था।
प्रभातफेरी मार्ग पर वातावरण को पवित्र बनाने के लिए ड्रोन के माध्यम से गंगाजल का छिड़काव किया जा रहा था। साथ ही सुगंधित मोगरे का इत्र भी छिड़का गया। दशहरा मैदान से उड़ान भरते ड्रोन श्रद्धालुओं के स्वागत के साथ ही आध्यात्मिक सुगंध भी भर रहे थे। इसमें विभिन्न धार्मिक-सामाजिक, राजनीतिक एवं अन्य संगठन के लोगों ने समूह में भागीदारी की।
शहर के पश्चिम क्षेत्र में रण में जीत का आशीष देने वाले बाबा रणजीत के दर्शन कर ब्रह्म मुहूर्त में लाखों भक्त धन्य हुए। एक बार फिर रणजीत अष्टमी पर शुक्रवार को शहरवासियों सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए भक्तों की सुप्रभात पश्चिम क्षेत्र में हुई।
तड़के तीन बजे से ही रणजीत हनुमान मंदिर परिसर में आस्था और उल्लास का संगम हिलौरे मारने लगा था। यह चरम पर जब पहुंचा जब सुबह 5 बजे जय रणजीत के जयघोष के साथ बाबा के उत्सव विग्रह को स्वर्ण रथ पर विराजित किया गया।पांच किलोमीटर लंबे मार्ग पर भक्तों के दर्शन देने निकले बाबा सुबह 7 बजे महूनाका पहुंचे तो यह विहंगम दृश्य देखते ही बन रहा था। इसके बाद दशहरा मैदान, अन्नपूर्णा मंदिर, नरेंद्र तिवारी मार्ग से वापस मंदिर परिसर में दोपहर 12.30 बजे प्रवेश के बाद दोपहर 1 बजे महा आरती हुई।
आस्था के उल्लास को सुबह-सुबह की कड़ाके की ठंड भी नहीं डिगा पाई। भक्त मंडल के मुताबिक जहां 2024 में संख्या साढ़े तीन लाख, 2025 में 5 लाख थी वहीं इस बार आंकड़ा 6 लाख के पार होने का अनुमान है।
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कड़ाके की ठंड में तड़के तीन बजे से दिखा आस्था और उल्लास का संगम।
6 लाख श्रद्धालुओं के प्रभातफेरी में शामिल होने का अनुमान।
7.30 घंटे में तय किया पांच किलोमीटर का मार्ग।
100 लीटर इत्र का 4 ड्रोने से छिड़काव किया।
2 हजार लीटर गंगाजल से मार्ग को धोया।
260 मंच से स्वागत और खान-पान की सामग्री वितरित।
2500 भक्त मंडल के सदस्यों ने संभाली व्यवस्था।
1 लाख 25 हजार रक्षासूत्र का वितरण शुरू।