उदय प्रताप सिंह, नईदुनिया, इंदौर। इंदौर शहर अब ग्रीन सिटी बनने की तैयारी में जुटा है। दिल्ली में स्वच्छ सर्वेक्षण के सम्मान समारोह के बाद हुई राउंड टेबल कांफ्रेंस में इंदौर निगम ने अपने ग्रीन सिटी बनने वाले का भविष्य का रोडमैप बताया। इसमें कचरे के साथ पानी व ऊर्जा के माडल पर काम किया जाएगा। शहर की लगातार बढ़ती आबादी, भौगोलिक स्तर पर शहर को होते विस्तार के कारण इंदौर बढ़ते कचरे को कम करने के लिए अभी से प्रयासरत है।
इंदौर में हर दिन 1250 टन गीला व सूखा कचरा उत्पन्न होता है। पिछले तीन साल में इंदौर ने 250 टन सूखा कचरा कम किया। तीन साल में 19 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कचरा कम किया गया। वहीं अगले एक साल में इंदौर नगर निगम 21 से 22 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कचरा कम करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इस तरह इंदौर में अगले एक साल में 250 टन के अलावा 50 टन अतिरिक्त कचरा कम करने की तैयारी है।
शहर के घरों व प्रतिष्ठानों से पिछले तीन साल में 190 टन कचरा ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचने से रोका गया। इसके लिए इंदौर में 56 हजार घरों के लोगों का विशेष सहयोग मिला। इन घरों में होम कंपोस्टिंग यूनिट के माध्यम से घरों में ही गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है। वही शहर के उद्यानों में पिट कंपोस्टिंग, आर्गेनिक वेस्ट वाटर व ड्रम कंपोस्ट के माध्यम से हरित कचरे का निपटान गार्डन परिसर में ही किया जा रहा है।
शहर में 287 संस्थाएं ऐसी हैं जो प्रतिदिन 30 किलो से ज्यादा कचरा देती हैं। ऐसे संस्थानों में होटल, मैरिज गार्डन, शैक्षणिक संस्थान हैं। इन संस्थानों ने गीले कचरे के खाद बनाने के उपक्रम लगाए और सूखे कचरे की छंटाई की यूनिट लगाई। परिणामस्वरूप प्रतिदिन 30 टन कचरा नगर निगम को मिलना कम हुआ।
मोबाइल कंपोस्टिंग वैन : चार वाहनों के माध्यम से प्रतिदिन आठ से नौ टन गीला कचरा एकत्र कर उससे खाद बनाई जा रही है।
बायोसीएनजी प्लांट : कबीटखेड़ी व चोइथराम मंडी में बायोसीएनजी प्लांट में 35 टन कचरे से गैस बनाई जा रही है। यह कचरा शहर में खत्म हो रहा है।
वर्तमान में ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 550 टन प्रतिदिन गीले कचरे से खाद बनाने का संयंत्र लगाया गया है। इसकी क्षमता बढ़ाकर 800 टन प्रतिदिन करने की योजना है। इस तरह यह विश्व का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट बन जाएगा।
ग्रीन इंदौर बनाने के लिए इंदौर निगम लगातार काम कर रहा है। भविष्य में इंदौर को ग्रीन सिटी बनाएंगे। हमने शहर कचरे को कम करने के लिए प्रयास किए, जिसमें काफी सफलता मिली है। होम कंपोस्टिंग यूनिट, आरआरआर सेंटर बनाकर व सिंगल यूज प्लास्टिक व डिस्पोजेबल पर रोक लगाने से भी यह सफलता हासिल हुई है। इसके अलावा सौर ऊर्जा से बिजली बनाने व रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसे प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे। इस तरह इंदौर भविष्य में ग्रीन सिटी के रूप में पहचाना जाएगा। - शिवम वर्मा, निगमायुक्त