Indore Amit Jaldhari Column: अमित जलधारी, इंदौर, नईदुनिया। बंगाली फ्लाईओवर को लेकर आइआइटी दिल्ली से सलाह-मशविरा करना मध्य प्रदेश सरकार के पीडब्ल्यूडी को महंगा पड़ गया है। आइआइटी ने सलाह के बदले विभाग से करीब 16 लाख रुपये मांग लिए हैं। उक्त राशि सुनकर खुद विभागीय अफसरों के होश उड़ गए। विभाग यह राशि चुकाएगा, तब आइआइटी फ्लाईओवर के मध्य भाग को लेकर अपना मत देगा। विडंबना यह है कि करीब एक महीने पहले पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने इंदौर के जनप्रतिनिधियों और विभागीय अफसरों के साथ हुई बैठक में 15 दिन में आइआइटी से सलाह लेकर काम शुरू करने के निर्देश दिए थे। वो समय सीमा तो कबकी गुजर गई और अब तक तो सलाह के ही अते-पते नहीं हैं। आइआइटी की सलाह के आधार पर तय होगा कि फ्लाईओवर के मध्य भाग में दो पिलर बनाना ठीक होगा या नहीं। अब विभाग भारी मन से आइआइटी को राशि देने की तैयारी कर रहा है
आपका झगड़ा आप निपटा
ऐतिहासिक राजवाड़ा के जीर्णोद्धार कार्य को डेढ़ साल से पूरा करवाने की कवायद हो रही है, लेकिन काम है कि पूरा होने का नाम नहीं ले रहा। अब तो अधिकारी वहां के दौरे और समीक्षा बैठक करके उकता गए हैं। कभी कोरोना लाकडाउन, तो कभी ठेकेदार संबंधी समस्याओं के कारण प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पा रहा है। पिछले दिनों निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने इस लेटलतीफी पर ठेकेदार फर्म के प्रतिनिधियों को जमकर फटकारा। सूत्र बताते हैं मुख्य ठेकेदार ने स्थानीय ठेकेदार को पूरे काम का वर्कआर्डर नहीं दिया, जबकि स्थानीय ठेकेदार पूरे काम का वर्कआर्डर मांग रहा है। इसी बात को लेकर दोनों में ठनी हुई थी। आयुक्त ने जिम्मेदारों को हिंदी में समझा दिया है कि आप लोगों का झगड़ा, आप लोग निपटो। हमें काम से मतलब है। सितंबर तक काम पूरा होना चाहिए। हालांकि, सितंबर तक तो राजवाड़ा का काम पूरा होता नहीं दिखता।
एक जमीन पर दो विभागों को दिख रही 'मलाई'
इंदौर शहर के रेलवे स्टेशन पर तो अब ज्यादा जगह है नहीं, लेकिन प्लेटफार्म एक की तरफ सरवटे रोड के पास रेलवे के पास काफी जमीन है। वर्तमान में वहां रेलवे रिजर्वेशन आफिस, निर्माण विभाग के इंजीनियरों का आफिस, स्टाफ क्वार्टर और अस्पताल आदि बने हैं। इस जमीन में रेलवे के दो विभागों को मलाई दिख रही है। इनमें रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथारिटी (आरएलडीए) और इंडियन रेलवे स्टेशंस डेवलपमेंट कार्पोरेशन (आइआरएसडीसी) शामिल हैं। दोनों विभाग रेलवे की जमीनों के खिलाड़ी हैं और उनका विकास कर कमाई बढ़ाने में महारत रखते हैं। व्यावसायिक लिहाज से इंदौर की जमीन मौके की है। हालांकि, आरएलडीए की तुलना में आइआरएसडीसी को जमीन मिलने की ज्यादा संभावना है। पश्चिम रेलवे ने तो बोर्ड को कह दिया है कि इंदौर की जमीन आइआरएसडीसी को मिलनी चाहिए, इसी बहाने स्टेशन रिडेवलपमेंट भी हो जाएगा। देखते हैं, जमीन के खेल में कौन जीतता है।
सरकार ही नहीं दे रही नगर निगम को लोन गारंटी
इंदौर नगर निगम अफसरों ने बेटरमेंट चार्ज से बनने वाली चार सड़कों का खूब प्रचार कर वाहवाही लूटी थी। इन सड़कों के लिए जमीन मालिकों से बेटरमेंट चार्ज वसूला जाना है, लेकिन फिलहाल तो निगम को अपने खर्च से सड़कें बनानी हैं। इसके लिए करीब 171 करोड़ रुपये का लोन चाहिए। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने लोन देने की तो सहमति दे दी, लेकिन उसे राज्य सरकार की गारंटी चाहिए। पहले एक बार सरकार को गारंटी देने की चिट्ठी लिखी जा चुकी है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब खुद निगम अफसरों को लगने लगा है कि निगम की आर्थिक साख इतनी खराब हो गई है, कि सरकार ही उसे लोन गारंटी नहीं दे रही। भोपाल से जवाब नहीं आने पर अब अफसरों ने एक और चिट्ठी दौड़ाई है और गारंटी देने का विनम्र निवेदन किया है। देखते हैं कि सरकार को तरस आता है या नहीं।