नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। जिस बीआरटीएस को अहमदाबाद के बाद देश का दूसरा सबसे सफल प्रोजेक्ट बताकर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने देशभर में वाहवाही लूटी थी, वह जल्द ही अतीत बन जाएगा। हाई कोर्ट के आदेश के सात माह बाद अंतत: इंदौर के बीआरटीएस को तोड़ने के प्रस्ताव पर शुक्रवार को हुई महापौर परिषद (एमआईसी) की बैठक में बगैर किसी विरोध के अंतिम मुहर लग ही गई।
एक अक्टूबर से हटाने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। जो एजेंसी बीआरटीएस तोड़गी, वह नगर निगम को करीब ढाई करोड़ रुपये देगी। बीआरटीएस तोड़ने के साथ इस मार्ग पर डिवाइडर बनाने का काम भी शुरू होगा। तीन एजेंसियां यह काम करेंगी, जो पहले ही तय हो चुकी हैं। यानी एक एजेंसी बीआरटीएस तोड़ेगी तो तीन डिवाइडर बनाएंगी।
इंदौर में बीआरटीएस का सफर करीब 12 वर्ष का रहा। 10 मई 2013 को इसकी विधिवत शुरुआत हुई थी। 11.47 किमी लंबा बीआरटीएस निरंजनपुर से राजीव गांधी चौराहा तक जाता है। बीआरटीएस पर आवागमन शुरू होने के साथ ही विवाद भी शुरू हो गए थे। इसे अवैध बताते हुए दो जनहित याचिकाएं मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष दायर हुईं।
इन याचिकाओं का निराकरण करते हुए अंतत: 27 फरवरी 2025 को हाई कोर्ट ने शासन को बीआरटीएस तोड़ने की अनुमति दे दी थी। इसके अगले ही दिन 28 फरवरी 2025 को महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने निगम के अधिकारियों के साथ मिलकर जीपीओ चौराहा पर सांकेतिक रूप से बीआरटीएस हटाने की शुरुआत कर दी थी, लेकिन इसके बाद काम ठंडा पड़ गया जो अब फिर शुरू होगा।
बीआरटीएस तोड़ने के बाद मार्ग में बनाए जाने वाले डिवाइडर में पौधारोपण होगा। इन पौधों तक पानी पहुंचाने के लिए विशेष पाइप लाइन डिवाइडर में बिछाई जाएगी। एक बटन दबाते ही 11 किमी लंबे मार्ग में बनाए डिवाइडरों में रोपे गए पौधों तक पानी पहुंच जाएगा।
बीआरटीएस तोड़ने वाली एजेंसी बुधवार से काम शुरू कर देगी। शुक्रवार को हुई एमआइसी की बैठक में दो करोड़ 55 लाख 56 हजार 860 रुपये के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। बीआरटीएस तोड़ने के साथ ही मार्ग पर डिवाइडर बनाने का काम भी चलेगा ताकि यातायात बाधित न हो। -पुष्यमित्र भार्गव, महापौर, इंदौर