उदय प्रताप सिंह, नईदुनिया, इंदौर। स्वच्छता के मामले में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुका इंदौर अब गीले कचरे की मात्रा कम करने के लिए विशेष प्रयास करने जा रहा है। इससे अन्न की बर्बादी भी रुकेगी और नगर निगम पर गीले कचरे का बोझ भी कम होगा। नगर निगम के आकलन में पाया गया कि शहर के होटल व मैरिज गार्डन में शादियों के सीजन में प्रतिदिन 100 से 150 टन खाना गीले कचरे में आता है। इसके अलावा आम दिनों में 50 से 80 टन खाना गीले कचरे में डाला जाता है।
इंदौर नगर निगम अब इस भोजन को बर्बाद होने से बचाने के लिए जल्द ही विशेष मुहिम चलाएगा। होटल-रेस्टोरेंट के साथ चर्चा कर भोजन को फेंके जाने से रोका जाएगा। डब्ल्यूआरआई इंडिया संस्था द्वारा इस संबंध में नगर निगम के साथ काम किया जा रहा है।
संस्था द्वारा इस संबंध में शहर की साकेत व अन्य कॉलोनियों व स्लम बस्तियों में भी सर्वे कर वहां रहने वाले लोगों के फूड बिहेवियर का पता किया जा रहा है कि आखिर कहां से और किस तरह भोजन गीले कचरे में आ रहा है।
फूड वेस्ट को कम करने के लिए डब्ल्यूआरआई इंडिया पिछले दो साल से इस मुद्दे पर नगर निगम के साथ काम कर रहा है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने के लिए वीडियो भी बनाए जा रहे हैं, उन्हें बताया जा रहा है कि वे किस तरह खाद्य पदार्थों को बेकार होने से पहले उपयोग करें और उसे बर्बाद न होने दें। जो संस्थान अपना फूड वेस्ट कम कर रहे हैं, उन्हें सस्टेनेबिलिटी स्कोर कार्ड में अंक देकर मोटिवेट किया जा रहा है।
खाद्य पदार्थों की अतिरिक्त मात्रा होने पर उन्हें गीले कचरे में फेंक दिया जाता है। इंदौर नगर निगम इससे अभी बायोसीएनजी गैस व खाद तैयार करता है। खाद्य पदार्थों का उपयोग कर पशुओं का भोजन भी तैयार किया जा सकता है। इसके लिए देश के कुछ संस्थान काम भी कर रहे हैं।