Indore District Court:इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। नम्रता डामोर के पिता बयान देने के लिए न्यायालय में उपस्थित ही नहीं हो रहे, जबकि उन्होंने ही सीबीआइ द्वारा प्रस्तुत खात्मा रिपोर्ट को चुनौती दी थी। इसके चलते इंदौर जिला न्यायालय यह तय नहीं कर पा रहा है कि सीबीआइ की ओर से दोबारा प्रस्तुत खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार करे या नहीं। सीबीआइ का कहना है कि जांच में यह बात सामने आ रही है कि नम्रता ने पारिवारिक विवाद के चलते ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या की थी। उसकी हत्या के कोई साक्ष्य नहीं मिल रहे हैं। नम्रता की मृत्यु का व्यापमं घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है।
गौरतलब है कि एमजीएम मेडिकल कालेज की छात्रा नम्रता डामोर का शव 7 जनवरी 2012 को उज्जैन के आगे रेलवे पटरी पर पड़ा मिला था। नम्रता मेडिकल कालेज में प्रथम वर्ष की छात्रा थी और कालेज के ही हास्टल में रहती थी। वह जनवरी के पहले सप्ताह से ही गायब थी। संयोगितागंज पुलिस थाने पर उसकी गुमशुदगी भी दर्ज थी। नम्रता का शव मिलने के बाद मामले को व्यापमं घोटाले से जोड़कर देखा जाने लगा था। पुलिस नम्रता की मौत को आत्महत्या बता रही थी, जबकि नम्रता के पिता मेहताब सिंह इसे हत्या बताते हुए सीबीआइ जांच की मांग कर रहे थे।
जुलाई 2015 में एक पत्रकार की संदिग्ध मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों की मौत की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। सीबीआइ ने दो वर्ष जांच के बाद नम्रता मौत मामले में खात्मा रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी लेकिन मेहताब सिंह ने इस पर आपत्ति ली जिसके बाद कोर्ट ने खात्मा रिपोर्ट को लौटा दिया। इसके बाद दोबारा जांच शुरू हुई। इस बार भी सीबीआइ ने खात्मा रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसमें मेहताब सिंह के बयान होना है लेकिन वे उपस्थित ही नहीं हो रहे। हाल ही में उन्होंने कोर्ट में आवेदन दिया कि वे अगली सुनवाई पर अनिवार्य रूप से उपस्थित हो जाएंगे। मामले में अब अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सुनवाई होगी।