नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जोनों पर बिल जमा करने की व्यवस्था फेल होती नजर आई। दरअसल, बिजली कंपनी ने काउंटर पर 20-30 वर्षों से तैनात व्यवस्था और कर्मचारियों को बदल दिया। इसके बाद बुधवार को शहर के 10 से ज्यादा जोनों पर या तो बिल जमा करने वाली खिड़की पर नए तैनात कर्मचारी नहीं पहुंचे या फिर जहां कर्मचारी पहुंचे वहां भी कुछ घंटों बाद बिल जमा होना ही बंद हो गया। बिजली कंपनी के जोन पर तैनात इंजीनियर और कर्मचारी व्यवस्था को संभालने में पसीना-पसीना होते रहे।
दो रुपये के फेर में बिजली कंपनी ने पुरानी व्यवस्था को बदल दिया। दरअसल, बिजली कर्मचारियों की सहकारी संस्था (पेढ़ी) अब तक बिजली जोन की खिड़कियों पर बिल कलेक्शन का काम संभालती थी। पश्चिम क्षेत्र वितरण कंपनी प्रति बिल इसके लिए पांच रुपये भुगतान करती थी। पेढ़ी की जिम्मेदारी होती थी कि वह न केवल नकद एकत्र करे बल्कि उसे रिकार्ड में चढ़ाए और उसी दिन बिजली कंपनी के खाते में जमा भी करें।
बीते समय से ऑनलाइन बिल भुगतान का चलन बढ़ा और खिड़की पर जमा होने वाले बिल की तादात कम हुई। इसके बाद पेढ़ी ने मांग रखी कि उसे बिल कलेक्शन पर दो रुपये बढ़ाकर सात रुपये दिए जाएं। कंपनी ने इसे नामंजूर कर दिया। बिल कलेक्शन का काम एमपी आनलाइन को सौंपने का निर्णय हुआ। हालांकि, नई व्यवस्था फिलहाल काम नहीं कर पा रही।
बुधवार को अन्नपूर्णा जोन, गुमास्ता नगर, अरण्य नगर, राजमोहल्ला, गोयल नगर जोन, संगम नगर, मनोरमागंज की खिड़की पर नए तैनात कर्मचारी नहीं पहुंचे। इस संबंध में बिजली कंपनी के जोन इंजीनियरों ने शिकायत की। सांवेर जोन पर भी ऐसी परेशानी मंगलवार के बाद बुधवार को दिखी।
इस बीच मनोरमागंज पर काउंटर शुरू हुआ तो दोपहर बाद बिल जमा करना बंद हो गया क्योंकि एमपी ऑनलाइन कर्मियों ने कह दिया कि तय संख्या से ज्यादा बिल वे नहीं ले सकते। उनके यहां प्री-पेड वालेट का सिस्टम लागू है।
इन सभी खिड़कियों पर चेक से भुगतान स्वीकार करने से मना कर दिया। जोन पर वैकल्पिक व्यवस्था कर चेक स्वीकारने के लिए जोन कर्मचारियों को अलग से तैनात किया गया। इसी के साथ शिकायत मिली कि जिन बड़े बिलों या विवादित बिलों में किस्त में पैसे जमा होने थे, उनका विकल्प देने से भी काउंटर वालों ने मना कर दिया।
व्यवस्था की शुरुआत में थोड़ी परेशानी आ रही है। जोन वालों ने डोर टू डोर कलेक्शन वाले सॉफ्टवेयर से बिल स्वीकारने की व्यवस्था की है। उपभोक्ताओं को परेशान नहीं होना पड़ेगा। वैसे तो कंपनी की प्राथमिकता है कि ऑनलाइन भुगतान ही जमा हो, फिर भी हमने नकद जमा का विकल्प जारी रखा है। -डीके गाठे, अधीक्षण यंत्री इंदौर