नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। मौसम में बदलाव के साथ पिछले एक सप्ताह में इंदौर में फ्लू के लक्षण वाले मरीजों की संख्या में तेजी इजाफा हुआ है। अस्पतालों के अलावा चिकित्सकों की ओपीडी में बुखार, सर्दी-खांसी के मरीजों की संख्या में आम दिनों के मुकाबले मरीजों की संख्या दोगुना हो गई। इस बार फ्लू के वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहा है। संक्रमण के बाद मरीजों को हर छह-आठ घंटे में दवा लेने के बाद भी पुन: बुखार आ रहा है।
कई मरीजों को खांसी एक सप्ताह से दस दिन तक रह रही है। ऐसे में चिकित्सकों की सलाह है कि फ्लू का यह वायरस रेस्पिरेटरी सिनसिशियल वायरस कैटेगरी का वायरस है। कोविड का वायरस भी इसी श्रेणी का था। ऐसे में लोगों को इस संक्रमण से बचाव के लिए कोविड से बचाव के तय सुरक्षा के प्रोटोकाल का पालन करना चाहिए। डाक्टरों की मानें तो यह सामान्य फ्लू नहीं है। एच3एन2 इंफ्लूएंजा वायरस के म्यूटेड वर्जन के कारण मरीजों को तेज बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, बदन दर्द, कमजोरी जैसी परेशानियां हो रही हैं।
डाक्टरों के मुताबिक इस वायरस से प्रभावित मरीज की बीमारी तो पांच से सात दिन में ठीक हो रही है। हालांकि खांसी लंबे समय तक रह रही है। कई मरीजों को शारीरिक कमजोरी दो सप्ताह तक रहती है। परिवार में किसी एक व्यक्ति को होने पर अन्य सदस्य भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
शहर की वरिष्ठ पैथोलाजिस्ट डा. विनीता कोठारी के मुताबिक वर्तमान में सर्दी-खांसी, बुखार पीड़ित मरीजों की डाक्टर रक्त जांच करवा रहे हैं। रेस्पिरेटरी सिनसिशियल वायरस में कोविड की जांच के समान नाक व गले से स्वाब लेकर परीक्षण किया जाता है। यह जांच महंगी है और जांच की रिपोर्ट जब तक आती तब मरीज ठीक हो जाता है। इसके अलावा जांच रिपोर्ट आने पर उपचार में कोई अंतर आता है। इस वजह से एच3एन2 की जांच नहीं की जा रही है।
- भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।
- यदि घर के किसी को सर्दी-खांसी व बुखार के लक्षण दिखें तो उसे आइसोलेट रखें ताकि अन्य किसी को संक्रमण न फैले।
- सार्वजनिक स्थानों, कार्यालय परिसर, बाजार में मास्क का इस्तेमाल करें।
- हाथों को सैनिटाइज करें। बाहर से घर आने पर हाथ अच्छी तरह धोएं।
- गले में खराश होने पर गरारे करें, गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें।
- आराम करें और पर्याप्त पानी पिएं।
यह वायरस मरीजों के गले को प्रभावित कर रहा है। इस वजह से बुखार, खांसी व सर्दी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। सामान्य दिनों के मुकाबले अब सरकारी अस्पतालों में हर 50 से 60 इस वायरस से संक्रमित मरीज पहुंच रहे हैं। वहीं डाक्टरों के निजी क्लीनिक में 10 से 20 मरीज प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। ऐसे में लोगों को अभी कोविड प्रोटोकाल के तहत तय सुरक्षा मापदंडों का पालन करना चाहिए। - डॉ. दीपक बंसल, चेस्ट फिजिशियन, एमवाय अस्पताल
फ्लू वायरस के मरीज पांच से सात दिन में ठीक हो रहे हैं। इसमें मरीजों को ठंड के साथ बुखार 102 डिग्री सेल्सियस तक भी आ रहा है। कई मरीजों में दवा लेने के छह घंटे बाद फिर से बुखार आ रहा है। तीन से चार दिन में बुखार सेटल हो जाता है। वहीं शारीरिक कमजोरी मरीजों में दो सप्ताह तक बनी रहती है। अस्थमा वाले मरीजों को इससे कारण ज्यादा परेशानी हो रही है। हर बार वायरस का प्रभाव मरीजों पर अलग-अलग देखने को मिलता है। वायरस के म्युटेड होने के कारण कभी यह सर्दी के साथ श्वसन लेने में रुकावट वाली स्थिति पैदा करता है तो कभी खांसी की स्थितियां देखने को मिली हैं। - डॉ. प्रवीण दाणी, एमडी मेडिसिन
फ्लू वायरस हर साल म्युटेड होता है। इस वजह से मरीजों में बीमारी के लक्षणों में हर साल कुछ बदलाव नजर आते हैं। इस बार फ्लू वायरस से पीड़ित मरीज बुखार, गले में खराश के बाद ही ठीक हो रहे हैं। गले में सूजन के कारण खांसी लंबे समय तक चल रही है। मरीजों को एंटीबायोटिक देने की जरूरत भी नहीं पड़ रही। लक्षणों के आधार पर उपचार हो रहा है। 60 साल से अधिक उम्र वाले, डायबिटीज व को-मार्बिड वाले मरीजों को साल में एक बार इंफ्लुएंजा की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। ऐसी स्थिति में वायरस का संक्रमण होने पर वे गंभीर रूप से प्रभावित नहीं होते। - डॉ. सूरज वर्मा, चेस्ट फिजिशियन
सिनसिशियल वायरस का अटैक किसी व्यक्ति को एक बार हो तो यह जरूरी नहीं कि दूसरी बार वो प्रभावित नहीं होगा। इसलिए यह जरूरी है कि हर व्यक्ति अपनी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को बेहतर बनाए। विटामिन सी का नियमित सेवन करें। डाक्टर की सलाह के अनुरूप विटामिन डी का उपयोग भी करे। नियमित व्यायाम व प्रणायाम करें। किसी को सर्दी-खांसी लक्षण दिखे तो हाथ न मिलाएं, उससे समुचित दूरी बनाए रखें। -डॉ. सलिल भार्गव, वरिष्ठ श्वसन रोग विशेषज्ञ