Indore Ishwar Sharma Column : ईश्वर शर्मा, इंदौर (नईदुनिया)। जिस इंदौर में हर माह बड़े-बड़े आयोजन होते हैं, उस नगर में बीते दिनों दो गुरु-शिष्य के बीच एक छोटा किंतु गहन वैचारिक विमर्श हुआ। 'अनहद नाद इस विमर्श का साक्षी बना। हुआ यूं कि बीते सप्ताह शास्त्रीय नृत्य की एक साधिका वेदों में वर्णित ज्ञान की गहराई को जानने के लिए संस्कृत के एक विद्वान के पास पहुंचीं। गुरु को प्रणाम किया और वेद संबंधी अपने प्रश्न उनके सामने रखे। गुरुजी ने भी शिष्या को योग्य और गुणी जानकर वेदों के मंत्र का सार समझाया। उन्होंने बताया कि सृष्टि की समस्त ध्वनियां शिव के डमरू की आवाज डमड्...डमड् से निकली हैं। इसका वर्णन माहेश्वर सूत्र में लिखा है। यह रहस्य सुन साधिका ने गुरु को प्रणाम किया। इन दोनों गुरु-शिष्य के बीच करीब एक घंटा विद्वत-विमर्श चला। निश्चित ही यह विमर्श सुनकर चारों वेद हर्षित हुए होंगे।
हे महामहोपाध्याय...नादान सरकारों को क्षमा करना
यदि कोई व्यक्ति अपना पूरा जीवन शास्त्रों का अध्ययन करने और उन पर टीका, भाष्य लिखने में बिता दे और फिर भी उस विद्वान को सम्मान देने में सरकारें देर कर दें, तो इसे दुर्भाग्य न कहें तो और क्या कहें। ऐसे ही एक विद्वान हैं केशवराव सदाशिव शास्त्री मुसलगांवकर। वेदों के गहन अध्येता, शास्त्रों के उपासक, दस से अधिक ऐसी पुस्तकें लिखने वाले व्यक्ति, जो सबकी सब अपने आप में कालजयी हैं। फिर भी जीवन के सात दशक बीतने तक केंद्र में रही कांग्रेस व अन्य दलों की सरकारों ने उन्हें कोई सम्मान न दिया। वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी की सरकार आई, तब जाकर इन्हें पूरे आदर के साथ पद्मश्री सम्मान दिया गया। इसके बाद स्थानीय नेताओं को भी मुसलगांवकर साहब की सुध लेने की संपट पड़ी। बीते सप्ताह महामहोपाध्याय मुसलगांवकर साहब के नाम पर एक मार्ग का नाम रखा गया। अब इस मार्ग पर उनकी विद्वता अमर रहेगी।
जीवन अगर कहीं है...तो वो यहीं है, यहीं है, अपने मालवे में ही है
अमीर खुसरों ने कभी कश्मीर को देखकर लिखा था- 'गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त/हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त"। इसका तर्जुमा कुछ यूं है कि 'धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं।। दरअसल, खुसरो चिचा कह रहे थे कि कश्मीर स्वर्ग है। बिल्कुल होगा, मगर वहां केवल सौन्दर्य का स्वर्ग है। खुसरो चिचा यदि कभी अपने मालवे में भूले-भटके आ गए होते तो हो सकता था वे अपनी राय पलट देते। मालवा केवल सौन्दर्य का नहीं बल्कि अध्यात्म, आनंद, खानपान, मौसम, मस्ती, अल्हड़पन से लेकर हर तरह के आनंद का स्वर्ग है। यहां जीवन अपने संपूर्ण चटख रंग में धड़कता है। ऊपर लगे इस फोटो को ही देख लीजिए। सर्दियों की गुनगुनी धूप वाली सुबह हो, स्कंद पुराण में वर्णित पुरुषोत्तम सागर का किनारा हो और योगीजन योग कर रहे हों...क्या यह अनुभूति स्वर्गिक नहीं? बिल्कुल है। एक बार भले मन से अनुभूत करके तो देखिए यह दृश्य।
युवाओं को आकाशवाणी तक बुलाने के लिए अनूठा आह्वान
मालवा हाउस स्थित इंदौर आकाशवाणी में इन दिनों कुछ नया, कुछ दिलचस्प घटित हो रहा है। यहां पदस्थ एक शख्स अपनी ड्यूटी को सरकारी नौकरी न मानकर अपना कर्म, अपना धर्म मान रहा है। ये हैं संतोष अग्निहोत्री। ये युवाओं की प्रतिभा को रेडियो के जरिए जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश में आकाशवाणी आमंत्रित कर रहे हैं और युववाणी के लिए उनके आडिशन ले रहे हैं। इसके लिए वे 30 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को अनूठे ढंग से बुला रहे हैं। दरअसल, वे अपने फेसबुक अकाउंट सहित इंटरनेट मीडिया के अन्य माध्यमों के जरिए युवाओं तक पहुंच बना रहे हैं और उन्हें साहित्य रचना के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अग्निहोत्री जैसे लोग ही समाज को कला, संस्कृति और भाषाई संस्कारों से सुरभित रखते हैं। युवाओं को लेखन और वाचिक परंपरा की ओर आकर्षित करने के लिए यह प्रयास अब रंग भी ला रहा है। युवा बड़ी संख्या में आकाशवाणी पहुंच रहे हैं।