Indore Jitendra Yadav Column: जितेंद्र यादव, इंदौर, नईदुनिया। ऐतिहासिक इमारत लालबाग के जीर्णोद्धार की योजनाएं भी लगता है लापरवाही का इतिहास बनाएंगी। पहले पुरातत्व विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला और इसके बाद बीती एक जुलाई को पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर व जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के दौरे के बाद भी लालबाग परिसर में हालात नहीं बदले हैं। नगर निगम द्वारा यहां स्मार्ट सिटी के तहत किए जा रहे काम पहले ही कछुआ चाल से चल रहे थे, मंत्रियों के दौरे के बाद भी इनमें कोई बदलाव नहीं आया है। पहले तो लालबाग की पुरानी लाइन ध्वस्त करते हुए पैलेस के सामने और नजदीक से ड्रेनेज लाइन डाल दी और अब आगे का काम ही ठप-सा है। लालबाग पैलेस देखने आ रहे दर्शकों के लिए सामने का कीचड़ भी 'दर्शनीय' हो गया है। बारिश में पैलेस की टपकती छत भी जल संरक्षण का काम कर रही है।
छड़ी पड़े छमछम, विद्या आए घमघम
लंबे समय से जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय का ढर्रा बिगड़ा हुआ था। शिक्षा विभाग की तरफ से अब तक किसी हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य को जिला शिक्षा अधिकारी बना दिया जाता था। शिक्षकों के बीच का ही कोई व्यक्ति अधिकारी बनकर प्रशासन नहीं चला पाता था। इसी कारण छह महीने पहले संयुक्त कलेक्टर रविकुमार सिंह को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार देने का प्रयोग काम कर गया। अब डीईओ कार्यालय में अक्सर नदारद रहने वाले बाबू सीटों पर नजर आने लगे हैं। सेवानिवृत्त शिक्षकों के पेंशन और एरियर के लंबे समय से अटके प्रकरण निपटने लगे हैं। शिकायतें भी कम हुई हैं। यह पुरानी कहावत ठीक ही है- छड़ी पड़े छमछम, विद्या आए घमघम। डीईओ कार्यालय के बिगड़े हुए कर्मचारियों ने प्रशासन के डर से काम का सबक तो याद कर लिया, लेकिन यह आगे भी याद रहे तो अच्छा है।
जेल में डालने की बात पर पांडे की बोलती बंद
गांधी नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था में जमीनों के घपले में जो नाम सबसे पहले आता है, वह संस्था के स्वयंभू सचिव फूलचंद पांडे हैं। उनकी कथित खूबियां केवल सहकारिता विभाग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जिला प्रशासन के अधिकारी भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए जमीन के मुद्दों को लेकर हुई बैठक में इसकी बानगी भी देखने को मिली। गांधी नगर सोसायटी की कुछ जमीन मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए चाहिए। इसे लेकर चर्चा के दौरान कलेक्टर मनीष सिंह ने पांडे को दो टूक कह दिया कि आपके गिरेबान में हाथ डालेंगे तो जेल में नजर आओगे। पूरे सहकारिता महकमे में आप सबसे ज्यादा खतरनाक हो। आपके दिमाग पर तो रिसर्च होनी चाहिए। कहीं पुरानी फाइलें फिर न खुल जाएं इस डर में पांडे की बोलती बंद हो गई, क्योंकि सोसायटी के घपले में वे पहले भी जेल जा चुके हैं।
अफसरों की जुबानी : दूध का दूध रखो, पानी का पानी
इंदौर जिले की बिरगोदा दूध उत्पादक सहकारी संस्था में पदाधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा ली गई अग्रिम राशि और अन्य हिसाब में गड़बड़ और इस पर सहकारिता उप पंजीयक डीआर कोर्ट द्वारा किए गए वसूली के आदेश के बाद इंदौर सहकारी दुग्ध संघ के अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं। उन्होंने संघ से जुड़ी इंदौर संभाग में फैली 1500 से अधिक दूध उत्पादक संस्थाओं को सावधान किया है कि वे अपने हिसाब-किताब और रिकार्ड को दुरुस्त रखें। बिरगोदा की संस्था जैसी गलती किसी और संस्था में भी हो सकती है। दुग्ध संघ के अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल के संज्ञान में बिरगोदा का मामला आने के बाद उन्होंने संघ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एएन द्विवेदी को कहा कि इस मामले में कार्रवाई करें। सुना है, इसके बाद सीईओ ने संघ से जुड़ी सभी संस्थाओं को अपना हिसाब-किताब ठीक रखने के लिए चिट्ठी लिखी है।