Indore Ke Shilpi: दिल में जब मदद का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। यह बात वरिष्ठ एडवोकेट और वर्षों तक महाधिवक्ता के रूप में सेवा दे चुके आनंद मोहन माथुर पर अक्षरश: सही साबित होती है। कद्दावर व्यक्तित्व के धनी माथुर साहब इंदौर को आनंद मोहन माथुर झूला पुल, आनंद मोहन माथुर सभागृह और कुंती माथुर सभागृह जैसी सौगातें दे चुके हैं। सहायता व सेवा का सिलसिला 94 वर्ष की उम्र में अब भी जारी है। इस उम्र में भी वे शहरवासियों की परेशानियों को लेकर विचलित हो जाते हैं और समस्या के हल के लिए सड़क पर उतरने को तैयार रहते हैं। इंदौर के इस शिल्पी का परिवार 1940 के दशक में शाजापुर से इंदौर आया और फिर यहीं का होकर रह गया।
इंदौर को करोड़ों रुपये की सौगातें देने वाले इस शिल्पी ने कभी मिल में मजदूरी की, तो कभी महाविद्यालय में शिक्षक की भूमिका भी निभाई। किसी दौर में इंदौर की भिंडी खाऊ जैसी मजदूर बस्ती में रहने वाले इस शिल्पी का बचपन अभावों में बीता। किंतु मुश्किलों को दरकिनार करता हुआ यह व्यक्तित्व मध्य प्रदेश का महाधिवक्ता भी बना और वर्षों तक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए शासन से लड़ता भी रहा। माथुर साहब ने 1943 में हाई स्कूल पास किया, तो पिता ने इच्छा जताई कि बेटा डाक्टर बने और समाजसेवा करे। मेडिकल कालेज में एडमिशन भी करवा दिया, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते केपिटेशन शुल्क के रूप में एक हजार रुपये जमा नहीं किए जा सके इसलिए आनंद मोहन माथुर मेडिकल की पढाई नहीं कर सके। बाद में कुछ समय तक उन्होंने इंदौर की मालवा मिल में मजदूरी की।
बहुत कम लोग जानते हैं कि माथुर साहब ने कई नाटक लिखे, उनमें अभिनय किया, निर्देशन भी किया और उनके मंचन की व्यवस्था भी की। उनके लिखे व निर्देशित किए नाटकों को देखने मुंबई से पृथ्वीराज कपूर और बलराज साहनी जैसी हस्तियां भी इंदौर आती थीं। शहर हित का मुद्दा हो और आनंद मोहन माथुर उसके पक्ष में सामने न आएं, ऐसा बीते पांच दशकों में तो कभी नहीं हुआ। इंदौर के इस शिल्पी ने कठोर परिश्रम की छेनी-हथौड़ी से इंदौर को गढ़ा है, संवारा है, बेहतर बनाया है। अब उनकी उम्र भले ढल गई हो, लेकिन माथुर साहब मन से आज भी युवा हैं और इंदौर को बहुत कुछ देना चाहते हैं। ऐसे शिल्पकार को नमन।
अपने खर्च, अपनी जीवटता से इंदौर को दिए अनूठे उपहार
आर्थिक संकटों से जूझते हुए आनंद मोहन माथुर ने युवा अवस्था में ही शहर को सौगातें देने का संकल्प ले लिया था। करीब डेढ दशक पहले उन्होंने इंदौरवासियों को पहले झूला पुल की सौगात दी। इसके अलावा स्कीम 54 स्थित आनंद मोहन माथुर सभागृह, आनंद मोहन माथुर सेंटर फार एडवांस सर्जरी (एमवायएच), एड्स पीड़ितों के लिए मानवीय ट्रस्ट, आनंद मोहन माथुर शासकीय माध्यमिक शाला भवन, जयकुंवर बाई माथुर ओपीडी, लक्ष्मीनारायण माथुर आइसीयू, रामबाग मुक्तिधाम में पत्नी कुंती माथुर की स्मृति में कुंति माथुर सभागृह, आनंद मोहन माथुर उद्यान आदि शहर को सौंप चुके हैं। ये सभी सौगातें उन्होंने अपने खर्च से तैयार कीं और अपनी देखरेख में तैयार करवाईं।