Indore Ke Shilpi: इंदौर में होने वाले विकास कार्य आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं व शहर के ढांचे के अनुसार कितने कारगर होंगे, यह तय करके निर्माण करना बहुत जरूरी होता है। ऐसा इसलिए ताकि भविष्य में इंदौर की जरूरत के अनुसार सुविधाएं उपलब्ध रहें। करीब दो दशक पहले शहर में ऐसे ही विकास कार्यों की शुरुआत हुई थी। तब इंदौर में बड़ी इमारतें और इतने वाहन नहीं होते थे। किंतु उस समय योजना तैयार करने वालों ने भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए विकास कार्य शुरू किए। वे काम आज भी शहर की शान माने जाते हैं। इन कार्यों को शहर के अलग-अलग लोगों ने अपने विचारों से संवारा है। ऐसे ही एक शख्स हैं अतुल शेठ, जिन्होंने अपने रचनात्मक विचारों से स्थानीय प्रशासन को हमेशा मार्गदर्शन दिया। शेठ सही मायनों में इंदौर को गढ़ने में मदद करने वाले शिल्पी हैं। मां सुशीला बेन शाह की छत्रछाया में पले-बढ़े अतुल शेठ की शुरुआती शिक्षा इंदौर में ही हुई।
जीएसआइटीएस से इंजीनियरिंग व संरचनाओं में एमटेक करने के बाद सेठ ने नगर निगम में महापौर सलाहकार मंडल से जुड़कर शहर विकास के लिए काम शुरू किया। इस दौरान प्रोफेसर डीजी घोलेकर के साथ विकास के लिए कई नवाचार किए। शहर की सड़कें कैसी हों, फुटपाथ, जल निकासी की क्या योजना हो, जल स्रोतों का संरक्षण कैसे हो आदि को लेकर सदैव मार्गदर्शन दिया। इनकी सलाह के कारण ही इंदौर में बांड सड़कों का चलन शुरू हुआ। इसका लाभ यह हुआ कि शहर के विकास में धन की कमी नहीं आई। महात्मा गांधी मार्ग, रवीन्द्रनाथ टैगोर मार्ग व अन्नपूर्णा रोड जैसी प्रमुख सड़कें आज इसी की बानगी हैं। दरअसल, अतुल शेठ हमेशा जनहित के मुद्दों पर अपनी राय देते रहते हैं और शहर हित की अनदेखी होने पर जनहित याचिका लगाकर न्यायालय के समक्ष खड़े हो जाते हैं।
यशवंत सागर गहरीकरण का अभियान
यशवंत सागर तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए 1991- 92 में जनजागरण अभियान शुरू किया गया। शेठ की पहल पर शुरू हुए अभियान में तालाब को पहली बार गहरा किया गया। इसके बाद 2007-08 में तालाब की पाल की ऊंचाई बढ़ाने का अभियान शुरू किया गया, ताकि इसमें ज्यादा पानी रोक कर शहर की प्यास बुझाई जा सके। अब करीब 11 एमएलडी पानी इस तालाब से मिल रहा है। मधुकर वर्मा के महापौर बनने पर शेठ महापौर मार्गदर्शन मंडल में शामिल हुए। तब इन्होंने स्वनिर्धारण संपत्तिकर की पहल की, जिससे लोगों को सुविधा, निगम को राजस्व मिला।
वर्षा के जल को सहेजने का अभियान
वर्ष 2002 से 2004 के बीच वर्षा कम हुई, तो इंदौर के सामने पेयजल की समस्या उभर आई। तब महापौर मार्गदर्शक मंडल में शामिल अतुल शेठ ने विचार रखा कि वर्षा के पानी को सहेजने का अभियान चलाया जाए। योजना बनी और अभियान शुरू हुआ। इससे जनजागरण हुआ, जनता को तकनीकी सहयोग दिया गया और अभियान सफल रहा। नतीजतन शहर में वर्षाजल सहेजा जाने लगा। कुछ वर्षों में पानी की समस्या बहुत कम हो गई।