विनय यादव, नईदुनिया, इंदौर। एमवाय अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एनआईसीयू में नवजातों को चूहे द्वारा कुतरने के मामले के बाद अस्पताल में सुधार कार्य को लेकर चर्चा हो रही है। दूसरी ओर एमजीएम मेडिकल कॉलेज से ही जुड़े एमआरटीबी (मनोरमा राजे टीबी अस्पताल) में चूहों के अलावा सांप भी अस्पताल भवन में आ रहे हैं।
अस्पताल की दीवारों पर इस संबंध में पर्चे भी लगे हैं, जिसमें लिखा है कि परिसर में सांप निकलने पर सपेरे से संपर्क करें। यहां हर वर्ष बारिश के दिनों में चूहों के साथ सांप के निकलने की समस्या वार्ड सहित अन्य स्थानों में बनी रहती है। इसी वर्ष करीब चार बार सांप निकल चुके हैं। कई बार यह पकड़ में आ जाते हैं, लेकिन कई बार सपेरे को आने में देरी होने पर भाग जाते हैं, लेकिन जिम्मेदार इस भवन पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं।
अस्पताल की इमारत की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि बारिश के दौरान कई वार्डों में दीवारों से पानी टपकता है, जिससे मरीजों और स्टाफ को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सीपेज और ड्रेनेज की समस्याओं पर कई बार शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। कई बार नए अस्पताल भवन को लेकर मांग उठी है, प्रस्ताव भी बनकर भोपाल पहुंचा है, लेकिन इसके आगे कभी प्रक्रिया नहीं बढ़ पाई है।
एमआरटीबी अस्पताल वर्ष 1956 में शुरू हुआ था। तबसे इसी भवन में अस्पताल संचालित हो रहा है। भवन पुराना होने के कारण अस्पताल की दीवारों पर जगह-जगह दरारें आ रही हैं। अस्पताल के चारों तरफ खुला होने के कारण चूहे, सांप आदि खिड़की से अंदर प्रवेश कर लेते हैं।
यहां भर्ती मरीजों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है साफ हवा। ऐसे में इन आसपास कंक्रीट भी नहीं डाल सकते हैं। लेकिन मरीजों की सुरक्षा को देखते हुए व्यवस्थाओं में सुधार जरूर कर सकते हैं, लेकिन जिम्मेदार इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
अस्पताल भवन में कबाड़ भी रखा है। इसे यहां से हटाया नहीं जा रहा है। कबाड़ के कारण चूहों की अस्पताल में आने की आशंका बढ़ जाती है। अस्पताल परिसर में जगह-जगह फर्श भी उखड़ रहा है। कई बार अस्पताल प्रशासन द्वारा पीडब्ल्यूडी को सुधार कार्य के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद स्थायी निराकरण नहीं होता है।
अस्पताल में इंदौर के अलावा संभाग के जिले और दूसरे राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां हमेशा वार्डों में 30 से 40 मरीज भर्ती रहते हैं। मरीजों को पुराने भवन के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार मरीज शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के सामने भी अस्पताल की दुर्दशा पर चर्चा हो चुकी है। लेकिन वह भी भूल गए हैं।
अस्पताल परिसर में आखिरी बार सांप 25 दिन पहले नजर आया था। कोबरा अलमारी पर बैठा हुआ था, जिसे देखने के बाद स्टाफ घबराया और उन्होंने सपेरे को बुलवाया था। सपेरे कैलाश नाथ ने बताया कि हर वर्ष पांच से छह सांप एमआरटीबी अस्पताल से पकड़ता हूं। जैसे ही सूचना मिलती है, तुरंत मौके पर पहुंच जाता हूं। यहां आसपास खुली जगह में घास होने के कारण अस्पताल परिसर तक सांप पहुंच जाते हैं।
अस्पताल का भवन पुराना है। हमने भवन के रखरखाव के लिए पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखा है कि निरीक्षण करें और इसके सुधार के लिए योजना बनाएं। जल्द ही इसके निरीक्षण के बाद इसमें आवश्यक सुधार कार्य किए जाएंगे, जिससे मरीजों को लाभ मिलने लगेगा। - डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव, प्रभारी, एमआरटीबी अस्पताल